Manuscript Number : SHISRRJ21479
लघु चित्रों में मेवाड़ की कला-आध्यात्मिकता को प्रकट करते आर्ष-रामायण चित्र
Authors(1) :-मोनिका राजपूत मेवाड़ क्षेत्र में मिलने वाले चित्रकला संबंधी साक्ष्य स्पष्टतः इस तथ्य को उभारते हैं कि चित्रकला संबंधी प्रवृत्ति का मेवाड़ में अपना मौलिक स्वरूप रहा है। मेवाड़ में पनपने वाली चित्रकला शैली को नामकरण की कई संज्ञाओं से होकर गुजरना पड़ा। मेवाड़ शैली की पुस्तक चित्रण परंपरा की अधावधि अत्यंत प्राचीन है। ये चित्रित पांडुलिपियाँ मेवाड़ में चित्रकला के विकासशील स्वरूप को प्रकट करती हैं। मेवाड़ में इस स्वरूप में विकसित होने वाली चित्रकला की विद्वानों, कला समीक्षकों ने विविध रूपों में व्याख्या की है। समाज की आवश्यकता पूरी करने के लिए कलाकारों ने सरल से सरल व क्षिप्र तौर-तरीके अपनाए होंगे, जिनसे इन चित्रों में और भी अधिक गति उत्पन्न हो गई है।1 कथात्मकता के लिए चित्र-धरातल को अलग-अलग तलों में बांट लिया गया है। ये चित्र आज के समाज को भी आध्यात्मिक प्रेरणा एवं आध्यात्मिक तोष प्रदान करने के जबरदस्त माध्यम प्रमाणित हो सकते हैं। इस शोध पत्र के माध्यम से लघु चित्रों में मेवाड़ की कला अध्यात्मिकता को प्रकट करते आर्ष रामायण चित्रों का अध्ययन किया गया है।
मोनिका राजपूत मेवाड़ चित्रकला, आध्यात्मिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्ष-रामायण। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
शोधार्थिनी, डी.ई.आई. डीम्ड यूनिवर्सिटी, दयालबाग. आगरा।, भारत।
Date of Publication : 2021-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 143-149
Manuscript Number : SHISRRJ21479
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ21479