Manuscript Number : SHISRRJ21480
महादेवी के काव्य में वेदना की अनुभूति और रहस्यवाद
Authors(1) :-श्रवण सरोज छायावाद में जहां एक ओर रहस्यवाद दिखाई देता है वहीं दूसरी ओर विरह की अनुभूति भी दिखाई देती है । विरह कई स्तरों पर दिखाई देता है । दरअसल परिवार, समाज अथवा जहां भी प्रेम, करुणा होता है वहाँ विरह भी विद्यमान होता है । छायावाद की एक मात्र प्रतिनिधि महिला कवयित्रि महादेवी वर्मा के काव्य में विरहानुभूति सर्वोत्तम सफल अभिव्यक्ति है, उन्होंने अपने काव्यगीतों के माध्यम से क्षणभंगुर तथा नाशवान मानव हृदय की अमर पीड़ा को अपनी वाणी के द्वारा अमरत्व प्रदान करने का सफलतम प्रयास किया है । विरह महादेवी की चिरसंगिनी है, जो जीवन के प्रत्येक क्षण उनको आच्छादित किये रहती है, बुद्धत्व के प्रति अनुराग और सामाजिक करुणा का महादेवी के हृदय पर साम्राज्य था, जिसके प्रभाव के कारण महादेवी के हृदय पर वेदना के असीम गहरे रंग परिलक्षित होते है । आपके काव्य में लौकिक और पारलौकिक वेदना की प्रमुखता रही है, महादेवी वर्मा आत्मिक सुख के प्रमुख आधार असीम वेदना को ही मानती है ।
श्रवण सरोज आत्माभिव्यक्ति, आध्यात्मिकता, विरहानुभूति, रहस्यवाद, वेदनानुभूति, अभिव्यंजना । Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
शोधार्थी (पी-एच.डी.) हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली, भारत
Date of Publication : 2021-11-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 150-157
Manuscript Number : SHISRRJ21480
Publisher : Shauryam Research Institute
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