प्रेमचन्द के कहानियों की रचना प्रक्रिया

Authors(1) :-डॉ. बद्री दत्त मिश्र

प्रेमचंद को निरंतर आदर्श धरोहर के रूप में याद करना, दरअसल स्वयं को असली हिंदुस्तान से जोड़ना है। जो अब भी दबा कुचला है । प्रेमचंद का साहित्य ,विषमता पूर्ण इस समाज व्यवस्था के प्रति आक्रोश ही नहीं पैदा करता ,बल्कि तो उसे बदलने के लिए एक तीव्र छटपटाहट और बेचैनी से भी हमें भर देता है। यही कारण है की मनुष्य से गहरी मोहब्बत करने वाले लेखकों को प्रेमचंद बराबर याद रहते हैं ।

Authors and Affiliations

डॉ. बद्री दत्त मिश्र
एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, फीरोज़ गांधी कालेज, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत।

प्रेमचंद, आदर्श, धरोहर, साहित्य, मनुष्य, सामाजिकता, किसान, मजदूर, महाजन, भिखारी, पंडित, पुरोहित, हरिजन, जमीदार, पत्रकार, उद्योगपति।

  1. "स्टडीज इन यूरोपियन रियलिज्म जार्ज लुकाक्ष पृष्ट 6
  2. "मानसरोवर भाग-1 प्राक्कथन" 
  3. सन 1913 में’ जमाना ’ के नवंबर अंक में छपी कहानी अंधेरs
  4. बलिदान
  5. गोदान
  6. लाग डांट
  7. आहुति
  8. ईदगाह
  9. कफन

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-03-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 151-155
Manuscript Number : SHISRRJ221213
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. बद्री दत्त मिश्र, "प्रेमचन्द के कहानियों की रचना प्रक्रिया ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 2, pp.151-155, March-April.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ221213

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