Manuscript Number : SHISRRJ22520
सामयिक परिप्रेक्ष्य में वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति
Authors(1) :-डाॅ. शाहेदा सिद्दिकी जन्म से मृत्यु तक मानव का जीवन शारीरिक विकास की एक प्रक्रिया है। जो कुछ पूर्व निर्धारित चरणों से होकर गुजरता है। ये चरण है यथा- शैशव अवस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवा अवस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था जिसमें जन्म से लेकर किशोरावस्था तक की प्रक्रिया तीव्र विकास या निर्माण की प्रक्रिया है। यह विकास, निर्माण एवं संग्रहण का दौर होता है। युवावस्था में विकास प्रक्रिया धीमी पड़ने लगती है और प्रौढ़ावस्था तक पहुंचते-पहुंचते लगभग थम जाती है। युवा अवस्था से प्रौढ़ावस्था तक का दौर जैविक, सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से उत्पादन, दायित्व निर्वाह या जो कुछ पूर्व में संचित या संग्रहित किया गया है, उसे लौटाने या खर्च करने का दौर होता है। वृ़द्धावस्था जीवन प्रक्रिया का अंतिम चरण है। यह शारीरिक एवं सामाजिक दृष्टि से ह्रास का दौर है जिसमें व्यक्ति न केवल शारीरिक व मानसिक दृष्टि से कमजोर होता है अपितु सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से शक्तिहीन व संदर्भहीन भी हो जाता है। वर्तमान में वृद्धों की हालत बहुत दयनीय हो गयी है। वास्तव में यह एक चिंता का विषय है। प्रस्तुत शोध पत्र का प्रमुख उद्देश्य वर्तमान शहडोल नगरपालिका क्षेत्र के परिवारों में वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति का अध्ययन करना है।
डाॅ. शाहेदा सिद्दिकी वरिष्ठ नागरिक, शक्तिहीन, संदर्भहीन दयनीय, दायित्व एवं उत्पादन आदि। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
प्राध्यापक,(समाजशास्त्र), शा.ठाकुर रणमत सिंह, महाविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2022-01-30
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Page(s) : 57-62
Manuscript Number : SHISRRJ22520
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22520