आखिर स्त्री-पुरूष असमानता कब तक

Authors(1) :-डाॅ. गीता सिंह

महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कानून और कानूनी ढ़ाँचे का विकास एक महत्वपूर्ण कदम है और हिंसा के अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए मजबूत कानून का होना भी अहम है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सामाजिक तथा सांस्कृतिक वैधता और उनके साथ भेदभाव को समाप्त करने के लिए कानून आवश्यक है क्यांेकि आज भी महिला पुरूष समानता और नारी शक्ति का विकास और साथ ही परिवारों, समुदायों और राष्ट्रो के कल्याण के लिए अनिवार्य मानते है कोई भी राष्ट्र, समाज और परिवार समृद्ध और खुशहाल नही हो सकता, यदि उनकी आबादी का 50 यानि महिला जनसमूह खुशहाल नही होगी।

Authors and Affiliations

डाॅ. गीता सिंह
सह. प्राध्यापक अर्थशास्त्र, शास. कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय,रीवा, मध्य प्रदेश।

स्त्री,पुरुष, असमानता, हिंसा, कानून, संस्कृति, धर्म, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक।

  1. महिला अधिकारिता: एक विश्लेषण: ऋतु सारस्वत, योजना अक्टूबर 2007 पृ.क्र. 127।
  2. स्त्रियों: नया दौर और नयी हकीकत: डाॅ. क्षम शर्मा, मनोरमा इयर बुक 2007।
  3. इण्डिया टुडे 23 अगस्त 2006 नई दिल्ली पृ. 25।
  4. महिला विकास: एक परिदृश्य: स्वप्निल सारस्वत नयन प्रकाशन नई दिल्ली।

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022
Date of Publication : 2022-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 63-66
Manuscript Number : SHISRRJ22521
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. गीता सिंह, "आखिर स्त्री-पुरूष असमानता कब तक ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 1, pp.63-66, January-February.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22521

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