Manuscript Number : SHISRRJ22527
प्राचीन संस्कृत नाटकों में वर्णित सामाजिक मूल्यों की समसामायिक परिप्रेक्ष्य में प्रांसगिकता
Authors(1) :-डाॅ. रमेश चन्द्र टांक मूल्यों की आवश्यकता समसामायिक परिप्रेक्ष्य में मानव जीवन को स्वस्थ दिशा देेने वाले गुणों को मानव मूल्यों की संज्ञा से अभिहित किया जा सकता है जीवन को अनुशासित एवं सुवासित करने वाले तत्वों को मानव मूल्यों की श्रेणी में रखा जा सकता है। आज विश्व मंे तामसिक प्रकृति का प्राधान्य है, इसी तामसिक ज्ञान के कारण विश्व शान्ति दिन प्रतिदिन नष्ट होती जा रही है। मनुष्य हिंसक पशु के समान मनुष्य को ही मार रहा है। इंसानियत पर शैतानियत हावी होती जा रही है फलस्वरूप अन्तराष्ट्रीय आंतकवाद आज विश्व की ज्वलन्त समस्या बन गया है। आज राष्ट्रीय स्तर पर ही या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन होने वाली हिंसक एवं अनैतिक घटनाओं से यह स्पष्ट हो चुका है कि 21 वंी सदी का मनुष्य न तो सभ्य कहा जा सकता है एवं नहीं सुसंस्कृत अपितु व्यापक जनसंहार की अत्याधुनिक विकसित तकनीको एवं अनैतिक व्यवहार से लेस होकर वह आदि मानव से कही ज्यादा बर्बर एवं पाश्विक हो गया है। आज मनुष्य की मानवता के प्रति आदर भाव जाग्रत करने के लिए मानव को श्रेष्ठ माग्र की ओर प्रेरित करने के लिए संस्कृत नाटककारों द्वारा प्रदत विचार करने के लिए संस्कृत नाटककारों द्वारा प्रदत विचार रत्न स्वरूप मानव मूल्यों की ज्योति प्रत्येक मानव के मन में प्रदीप्त करने की परमावश्यकता है। संस्कृत नाटककारों द्वारा प्रदत मूल्य विचार प्रत्येक देश प्रत्येक काल, एवं प्रत्येक परिस्थिति में समसामायिक एवं प्रासंगिक है। ये मानव मूल्य अमूल्य होते हुए भी मानव जीवन को मूल्यवान बनाते है। मानव मूल्यों की दौलत से एक निर्धन भी स्वयं को धनवान से अधिक संडबर अनुभव करता है तथा इसके अभाव में धनवान भी स्वयं को दरिद्र अनुभव करता है। इसी से प्रेरित होकर मैने मेरा शोध आलेख प्राचीन नाटकों में वर्णित सामाजिक मूल्यों का समसामायिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षात्मक अध्ययन चयन किया है।
डाॅ. रमेश चन्द्र टांक प्राचीन, संस्कृत, नाटक, सामाजिक, मूल्य, जीवन, साहित्य Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
सीनियर रिसर्च फेलो, समाज शास्त्र विभाग, मो.सु.वि.वि, उदयपुर, राजस्थान, भारत।
Date of Publication : 2022-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 29-46
Manuscript Number : SHISRRJ22527
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22527