Manuscript Number : SHISRRJ22530
मानव सभ्यता में धर्म का महत्त्व
Authors(2) :-नज़मी गौहर, डाॅ0 देवनारायण पाठक
धर्म विशाल एवं व्यापक है। सभी बातें धर्म में समाहित हैं। धर्म के बिना कुछ भी नही है चाहे वह समाज हो या राष्ट्र। धर्म की आवश्यकता सभी को है। वर्तमान समय में धर्म भावना का अभाव सर्वत्र दिखायी दे रहा है। इसीलिए मानव का पतन होता जा रहा है। लोगों के हृयह से ईश्वर का भय खत्म हो गया है इसीलिए अनीति, अनाचार और अनास्था बढ़ते जा रहे हैं। समाज पतन की ओर जा रहा है। अगर उसे बचाना है तो हमें धर्म को आधार बनाना होगा। जिसके द्वारा मानव जीवन के लौकिक तथा अलौकिक पक्षों को एकसूत्र में पिरोकर एक आदर्श समाज में व्यक्ति के अधिकार तथा कर्तव्यों को निरूपित किया जा सकता है।
नज़मी गौहर धर्म, सत्य, अंहिसा, धर्म पारायणता, धर्मशील, धर्माचरण, नैतिकता, वेद।
Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
शोधच्छात्रा संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
डाॅ0 देवनारायण पाठक
संस्कृत विभागाध्यक्ष, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2022-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 69-73
Manuscript Number : SHISRRJ22530
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22530