मानव सभ्यता में धर्म का महत्त्व

Authors(2) :-नज़मी गौहर, डाॅ0 देवनारायण पाठक

धर्म विशाल एवं व्यापक है। सभी बातें धर्म में समाहित हैं। धर्म के बिना कुछ भी नही है चाहे वह समाज हो या राष्ट्र। धर्म की आवश्यकता सभी को है। वर्तमान समय में धर्म भावना का अभाव सर्वत्र दिखायी दे रहा है। इसीलिए मानव का पतन होता जा रहा है। लोगों के हृयह से ईश्वर का भय खत्म हो गया है इसीलिए अनीति, अनाचार और अनास्था बढ़ते जा रहे हैं। समाज पतन की ओर जा रहा है। अगर उसे बचाना है तो हमें धर्म को आधार बनाना होगा। जिसके द्वारा मानव जीवन के लौकिक तथा अलौकिक पक्षों को एकसूत्र में पिरोकर एक आदर्श समाज में व्यक्ति के अधिकार तथा कर्तव्यों को निरूपित किया जा सकता है।

Authors and Affiliations

नज़मी गौहर
शोधच्छात्रा संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
डाॅ0 देवनारायण पाठक
संस्कृत विभागाध्यक्ष, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

धर्म, सत्य, अंहिसा, धर्म पारायणता, धर्मशील, धर्माचरण, नैतिकता, वेद।

  1. महाभारत
  2. महाभारत
  3. आप्टे कोश - पृ0 489
  4. मनुस्मृति - 12
  5. मनुस्मृति - 12
  6. कल्याण, हिन्दु संस्कृति अंक पृ0 370
  7. जैमिनि सूत्र - 1
  8. वशिष्ठ धर्मसूत्र - 3
  9. छान्दोग्योपनिषद
  10. तैत्तिरीयोपनिषद्
  11. वैशेषिक दर्शन - 2
  12. बलदेव उपाध्याय - वैदिक साहित्य और संस्कृति - पृ0 449
  13. श्रीमन्नारायणोपनिषद - 79
  14. स्कन्द पुराण, काशी खण्ड, 46, 33
  15. वृद्ध गौतम स्मृति - 233
  16. वसिष्ठ धर्मसूत्र - 2

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022
Date of Publication : 2022-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 69-73
Manuscript Number : SHISRRJ22530
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

नज़मी गौहर, डाॅ0 देवनारायण पाठक , "मानव सभ्यता में धर्म का महत्त्व", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 2, pp.69-73, March-April.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ22530

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