मीमांसादर्शन में प्रयुक्त लौकिक न्यायों का विवेचन

Authors(1) :-डाॅ. अंशुल दुबे

लौकिक न्याय व्याख्यान की वह प्रक्रिया है जिसमें वस्तुतः ‘सागर को बूंद’ में समाहित करने की अपूर्व शक्ति और सामथ्र्य है। लौकिक न्याय अत्यन्त प्राचीन है। वेद, उपनिषद्, व्याकरण, न्याय एवं मीमांसा ग्रन्थों से लेकर लौकिक संस्कृत साहित्य तक इसकी प्रभा छिटकी हुई है। मीमांसा दर्शन के गूढ़ विषयों को समझने के लिए आचार्याे ने स्व-स्व ग्रन्थों में बहुशः लौकिक न्यायों का अवलम्बन किया है। जहाँ तक अभिव्यक्ति का प्रश्न है, लौकिक न्यायों के प्रयोग से इसमें एक विशिष्ट प्रकार का आकर्षण आ जाता है तथा न्यायों में सन्दर्भित आधार के कारण अभिव्यक्ति अपनी प्राचीन परम्परा से जुड़ जाती है, उसमें भारतीय धरती की सोंध भर जाती है और शैली भी इनके प्रयोग से सूक्त्यात्मक एवं सघन हो जाती है। मीमांसा दर्शन के सिद्धान्तों के विशिष्ट व्याख्यान क्रम में अन्यान्य ग्रन्थों में आए प्रमुख लौकिक न्यायों का विवेचन करना हमारे शोध-पत्र का वण्र्य विषय है।

Authors and Affiliations

डाॅ. अंशुल दुबे
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, तिलक महाविद्यालय, औरैया, उत्तर प्रदेश, भारत।

लौकिक, मन्दविष न्याय, शंखन्याय, तद्व्यपदेश न्याय, ग्रहैकत्व न्याय, सूक्त्यात्मक।

  1. माधवाचार्य (1892)न्यायमालाविस्तर (10/01/01) आनन्द आश्रम सीरीज
  2. शाबरभाष्य (6/02/25)
  3. शाबरभाष्य (10/03/03)
  4. मिश्र पार्थसारथि न्यायरत्नमाला ( पृ० 111 )
  5. माधवन्यायमालाविस्तर वही ( पृ० 221 )
  6. भट्ट कुमारिल (1896) श्लोकवार्तिक ( पृ० 123 ) चैखम्भा संस्कृत सीरीज वाराणसी
  7. भट्ट कुमारिल (1913) तन्त्रवार्तिक (3/5/19) चैखम्भा संस्कृत सीरीज वाराणसी
  8. शास्त्रदीपिका (1/3/4)
  9. तात्पर्यटीका ( पृ० 134)
  10. तात्पर्यटीका ( पृ० 437)
  11. जैमिनि सूत्र (1/4/5)
  12. तन्त्रवार्तिक वही (पृ० 348)
  13. माधवन्यायमालाविस्तर ( पृ० 308 )
  14. तन्त्रवार्तिक वही (3/4/1)
  15. तन्त्रवार्तिक वही (1/3/3)
  16. तन्त्रवार्तिक वही (1/3/18)
  17. शाबरभाष्य (2/02/25)
  18. श्लोकवार्तिक वही ( पृ० 710)

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022
Date of Publication : 2022-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 101-105
Manuscript Number : SHISRRJ225462
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. अंशुल दुबे, "मीमांसादर्शन में प्रयुक्त लौकिक न्यायों का विवेचन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 3, pp.101-105, May-June.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225462

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