Manuscript Number : SHISRRJ225465
मैथिली उपन्यासपर अन्य साहित्यक प्रभाव एवं महत्त्व
Authors(1) :-देवेश झा आजुक ग्लोबल-गाम केँ देखैत छी तऽ बुझना जाइत अछि जे एहि गाम मे अनगिनत भाषा-भाषी लोक सभ बास करैत छथि जनिक भाषा अनेको प्रकारक अछि। एहि भाषा सभ मे किछु भाषा सभ केँ ध्यान सँ सुनला पर किछु वाक्य वा वाक्यांश बुझना मे आबि जाइत अछि। जे बात बुझबा मे आबैत अछि, से अपन भाषाक सामिप्य रहलाक कारणेँ आ ओहने भाषा बुझबा मे नहि आबैत अछि जे ज्ञात भाषा सँ वा भाषा-परिवार सँ दूर अछि।
संसारक प्रायः सभ भाषाक अपन एक टा क्षेत्र निर्धारित अछि आ मिथिलाक भाषा मैथिलीक सेहो क्षेत्र निर्धारित अछि। एहि विषय मे विदेशी विद्वान ‘कोलब्रुक’ सभ सँ पहिने अपन विचार प्रस्तुत कयने छलाह। हिनक मतक बादे लोक जानि सकल जे मैथिली एक टा भाषा अछि जे भारतक बिहार-झारखंड राज्यक विभिन्न जिला सभ मे आ नेपालक विभिन्न जिला सभ मे बाजल जाइत छैक।
देवेश झा Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022 Article Preview
व्याख्याता, नेशनल डिग्री काॅलेज, रामबाग, पूर्णिया, बिहार, भारत
Date of Publication : 2022-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 119-123
Manuscript Number : SHISRRJ225465
Publisher : Shauryam Research Institute
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