सरस्वतीकण्ठाभरणीय वैदिकी-प्रक्रिया का वैशिष्ट्य

Authors(1) :-डाॅ. संजीवनी आर्या

‘षट्सु अङ्गेषु प्रधानं व्याकरणम्’ इति। छह वेदांगों में व्याकरण का प्रधान स्थान है। वेदों के अर्थावबोध हेतु व्याकरण की महती आवश्यकता होती है। यद्यपि अनेक संस्कृत व्याकरण ग्रन्थ आचार्यों द्वारा प्रणीत हैं। उनमें पाणिनीय व्याकरण अत्यन्त प्रसिद्ध तथा वेदांग के रूप में स्वीकृत है। पाणिनीय व्याकरण का ही अनुकरण करते हुए आचार्य भोजराज ने ‘सरस्वतीकण्ठाभरणम्’ नामक एक विशिष्ट व्याकरण ग्रन्थ का प्रणयन किया है। आचार्य भोजराज की यह व्याकरणिक कृति उनको विद्वत् समाज में महान वैयाकरण के रूप में प्रतिष्ठित करती है। सरस्वतीकण्ठाभरण की वैदिकी प्रक्रिया तो अत्यन्त विशिष्ट एवं सुस्पष्ट है। पाणिनीय की तरह ही आचार्य भोज ने इस सरस्वतीकण्ठाभरण में आठ अध्यायों की संरचना की है। पूर्व के सात अध्यायों में लौकिक व्याकरण को स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया है तथा अन्तिम अष्टम अध्याय में वैदिकी प्रक्रिया एवं स्वर प्रक्रिया को सुगमता से निरूपित किया है। त्रिमुनि व्याकरण के साररूप में सम्पूर्ण अध्यायों में सूत्रों की संरचना हुई है। अष्टम अध्याय की वैदिकी प्रक्रिया अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं विशिष्ट है। अनेक प्रकार से भोजराज ने इसको सुगम बनाने का प्रयास किया है तथा एक ही स्थल पर सम्पूर्ण वैदिकी प्रक्रिया को रखकर अध्येताओं के लिए बोधगम्य बनाया है। प्रस्तुत आलेख में वैदिकी प्रक्रिया की अनेक विशिष्टताओं का प्रतिपादन किया गया है।

Authors and Affiliations

डाॅ. संजीवनी आर्या
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, विद्या भवन महिला महाविद्यालय, सिवान (बिहार)

सरस्वतीकण्ठाभरणम्, वैदिकी प्रक्रिया, व्याकरण, बहुलं छन्दसि, स्वर प्रक्रिया आदि।

  1. पा0 सू0 - पाणिनीय सूत्र
  2. फि0 सू0 - फिट् सूत्र
  3. वा0 प्रा0 - वाजसनेय प्रातिशाख्य
  4. ऋ0 प्रा0 - ऋक्प्रातिशाख्य
  5. गो0 ब्रा0 - गोपथ ब्राह्मण
  6. ऐ0 ब्रा0 - ऐतरेय ब्राह्मण
  7. षड्0 ब्रा0 - षड्विंश ब्राह्मण
  8. ता0 ब्रा0 - ताण्ड्य ब्राह्मण
  9. पा0 शि0 - पाणिनीय शिक्षा
  10. ना0 शि0 - नारदीय शिक्षा
  11. ऋ0 - ऋग्वेद
  12. यजु0 - यजुर्वेद
  13. साम0 - सामवेद
  14. अथर्व0 - अथर्ववेद
  15. स0 क0 - सरस्वतीकण्ठाभरण
  16. अ0 सू0 - अष्टाध्यायी सूत्रपाठ
  17. धा0 पा0 - धातुपाठ
  18. नि0 - निरुक्तम्

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022
Date of Publication : 2022-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 171-175
Manuscript Number : SHISRRJ225475
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. संजीवनी आर्या, "सरस्वतीकण्ठाभरणीय वैदिकी-प्रक्रिया का वैशिष्ट्य ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 3, pp.171-175, May-June.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225475

Article Preview