हिंदी और उर्दू उपन्यासों में चित्रित समाज

Authors(1) :-डॉ राकेश चंद्र

भारतीय उपमहाद्वीप की दो प्रमुख भाषाओं हिंदी और उर्दू का साहित्य एक ही सांस्कृतिक विरासत अपने भीतर समेटे हुए हैं । दोनों भाषाओं के साहित्य को भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक परिवेश ने समान रूप से प्रभावित किया है । इन दोनों भाषाओं के साहित्य में विषय भाव और संवेदना की दृष्टि से अद्भुत साम्य देखने को मिलता है । इन दोनों भाषा के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन इस भारतीय महाद्वीप की साझा संस्कृति और संवेदना को समझने की एक नई दृष्टि देता है और अवबोध के नए गवाक्ष खोलता है । तुलनात्मक साहित्य द्वारा ज्ञान का विस्तार तो होता ही है साहित्य में चित्रित दोनों भाषाओं के समाज का यथार्थ रूप में अंकन होता है ।

Authors and Affiliations

डॉ राकेश चंद्र
शोधार्थी, हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली, भारत।

बाल मनोविज्ञान, शिक्षा और धर्म, संवेदना, बाह्यआडंबर, समाज|

  1. मोहसिन खान, अल्लाह मियाँ का कारखाना, पृ. सं. 197
  2. मन्नू भंडारी, आपका बंटी, पृ. सं. भूमिका से
  3. मोहसिन खान, अल्लाह मियाँ का कारखाना, पृ. सं. 23
  4. मन्नू भंडारी, आपका बंटी, पृ. सं. 50
  5. मोहसिन खान, अल्लाह मियाँ का कारखाना, पृ. सं. 88

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-12
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 50-53
Manuscript Number : SHISRRJ225479
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ राकेश चंद्र, "हिंदी और उर्दू उपन्यासों में चित्रित समाज", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.50-53, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225479

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