Manuscript Number : SHISRRJ225481
दलित विमर्श के साहित्यिक-संदर्भ
Authors(1) :-डाॅ0 विवेक सिंह हिन्दी साहित्य में नागार्जुन, रेणू, नेमिशराय, नरेश मेहता, सुखलाल, जय प्रकाश कर्दम जैसे नाम ‘मैं भंगी हूँ’ ‘बलचमा’, छप्पर, जूठन अपने अपने पिंजड़े, शबरी कृतियों के साथ चर्चित हैं सतींद्र सिंह, गुरूदयाल सिंह, प्रेमगोरखी इन पंजाबी हस्ताक्षरों के संग बुदण्ण हिमगिरे, इनाम अवलिका, रंगनायकम्प, ओ0पी0 विजयन नम्बुदिरिका जैसी प्रतिभाएँ कर्नाटक, उड़िया, मलयालम दलित साहित्य में सक्रिय हैं। सदियों से नकारे गये, आदिवासी बहुजनों का दलित साहित्य मंगलमयी मूल्यों तथा सत्याभिव्यक्ति के कारण भारत एवं भारतेतर देशों के साहित्य में सम्मानित हो रहा है युगीन प्रवृत्तियों को परिलक्षित और उन्हें मानवता की ओर प्रवृत्त कर रहा है यही इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
डाॅ0 विवेक सिंह दलित, विमर्श, साहित्यिक, आदिवासी, सत्याभिव्यक्ति। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 3 | May-June 2022 Article Preview
सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग, कमला नेहरू पी0जी0 कॉलेज, तेजगॉव, रायबरेली।
Date of Publication : 2022-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 204-208
Manuscript Number : SHISRRJ225481
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225481