वाल्मीकि रामायण की समसामयिक उपादेयता

Authors(1) :-डॉ. सुजीत कुमार

वाल्मीकि रामायण भारतीय संस्कृति, धर्म और जीवन मूल्यों का प्राचीन एवं समृद्ध ग्रन्थ है। इसमें प्रस्तुत आदर्श नायक श्रीराम की जीवन यात्रा आज भी समाज को नैतिकता, कर्तव्यनिष्ठा, आदर्श नेतृत्व और मानवीय मूल्यों की प्रेरणा देती है। जीवन में सत्य और धर्म का पालन सर्वोच्च है। आज के युग में नैतिक मूल्यों की गिरावट के बीच रामायण के आदर्श, जैसे सत्य, न्याय, और करुणा, अत्यन्त प्रासंगिक हैं। राम के जीवन से हमें आदर्श नेतृत्व के गुण मिलते हैं। वे एक आदर्श पुत्र, पति, राजा और मित्र थे। आज के राजनैतिक और सामाजिक नेतृत्व में इन गुणों की आवश्यकता है। स्त्री पात्रों में सीता का चरित्र आत्मसम्मान, धैर्य, और संघर्षशीलता का प्रतीक है। आधुनिक संदर्भों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह चरित्र एक महत्त्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत है। रामायण में पारिवारिक सम्बन्धों, मित्रता और समाज के प्रति दायित्वों को महत्त्वपूर्ण माना गया है। वर्तमान में टूटते पारिवारिक सम्बन्धों और व्यक्तिगत स्वार्थों के युग में रामायण के ये मूल्य समाज को जोड़े रखने में मददगार हो सकते हैं। रामायण में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच सहयोग और सद्भाव का उल्लेख मिलता है। यह आज की वैश्विक राजनीति और सांस्कृतिक विविधता में सामन्जस्य बनाये रखने का सन्देश देता है। अतः यह केवल एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं, बल्कि मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को दिशा देने वाला एक दार्शनिक और नैतिक मार्गदर्शक है। इसका सन्देश आज के समाज में भी उतना ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है जितना कि प्राचीन समय में था।

Authors and Affiliations

डॉ. सुजीत कुमार
असि. प्रोफसर, संस्कृत -विभाग, कर्मक्षेत्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत।

रामराज्य, आदर्श, राष्ट्र, परोपकार, समतामूलक, राजतन्त्र, प्रजातन्त्र, भ्रष्टाचार, प्रतिनिधित्व, लोकतान्त्रिक, न्याय, शासन, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, मानवाधिकार, कर्त्तव्यपालन, नैतिकता, वैश्विक, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय, समानता, कुशल, नेतृत्व, जनकल्याण।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची –

  1. वाल्मीकि रामायण- 1/25/17-19
  2. वाल्मीकि रामायण- 2/1/12
  3. वाल्मीकि रामायण- 1/75/24
  4. वाल्मीकि रामायण- 4/37/20-24
  5. वाल्मीकि रामायण- 6/3/25,27
  6. वाल्मीकि रामायण- 3/33/9, 4/30/11
  7. वाल्मीकि रामायण- 2/105/31
  8. वाल्मीकि रामायण- 4/18/34
  9. वाल्मीकि रामायण- 2/108/6-8
  10. वाल्मीकि रामायण- 2/12/23-27
  11. वाल्मीकि रामायण- 2/29/17-18
  12. वाल्मीकि रामायण- 2/63/6

सहायक ग्रन्थ सूची -

  1. वाल्मीकि रामायण, गीता प्रेस गोरखपुर।
  2. रामायणकालीन समाज, शांतिकुमार नानूराम व्यास, विश्वविद्यालय प्रकाशन वाराणसी।
  3. रामायणकालीन संस्कृति, शांतिकुमार नानूराम व्यास, विश्वविद्यालय प्रकाशन वाराणसी।
  4. वाल्मीकि रामायण: एक आधुनिक दृष्टिकोण, रामकुमार वर्मा, साहित्य भवन, नयी दिल्ली।
  5. रामकथा: वर्तमान संदर्भ और प्रासंगिकता, डॉ. रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली।
  6. समकालीन समाज में रामायण, डॉ. गोविंद त्रिपाठी, ओरिएंट ब्लैकस्वान, हैदराबाद।
  7. वाल्मीकि रामायण का सांस्कृतिक और नैतिक दृष्टिकोण, डॉ. धर्मवीर भारती, भारतीय ज्ञानपीठ, नयी- दिल्ली।

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 5 | September-October 2022
Date of Publication : 2022-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 98-105
Manuscript Number : SHISRRJ225521
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. सुजीत कुमार, "वाल्मीकि रामायण की समसामयिक उपादेयता ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 5, pp.98-105, September-October.2022
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ225521

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