Manuscript Number : SHISRRJ225561
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पडने वाले प्रभाव का समाजशास्त्रीय अध्ययन (सतना जिले के विषेष संदर्भ में)
Authors(2) :-डॉ. रचना श्रीवास्तव, श्रीमती विनीता सिंह महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लागू होने के साथ ही देश में काफी परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगे थे। सर्वप्रथम तो इसने रोजगार प्राप्त करने के मानवीय अधिकार को वैधानिक दर्जा प्रदान कर लोगों को जागरूक करने का काम किया तथा इस अधिनियम ने ग्रामीण बेरोजगारों को यह समझाया है कि रोजगार का अधिकार उनके जीवन के अधिकार में सन्निहित है। मनरेगा अपने प्रारम्भ की तिथि से ही ग्रामीण जन-जीवन को प्रभावित करने लगा है। देश, प्रदेश तथा जिले में काफी मात्रा में प्रभाव दिखायी पड़ रहा है। जब हम प्रभाव की बात करते है तो इससे तात्पर्य होता है कि लक्षित समूह के जीवन के प्रत्येक पहलू को इसने छुआ है तथा अंशतः ही सही किन्तु परिवर्तन अनिवार्यतः हुआ हो।मनरेगा ने ग्रामीणों के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है, अंतर केवल मात्रात्मक है। सतना जिला स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछडे़ जिले की श्रेणी में आता है, चूँकि यह जिला ग्रामीण बहुल जनसंख्या से संगठित हुआ है एवं यहां के ग्रामीण क्षेत्र शहर से अधिक भौगोलिक दूरी पर स्थित है, ऐसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का सामान्यतः अभाव दृष्टिगोचर होता है। ऐसे परिस्थिति में व्यक्तियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। चूँकि बेरोजगारी एवं गरीबी कुपोषण एवं स्वास्थ्य के निम्न स्तर का महत्वपूर्ण कारक है, इसलिए यह समझ में आता है कि यदि स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, कुपोषण को दूर करना है तो सर्वप्रथम गरीबी दूर करना होगा। गरीबी दूर करने के लिए बेरोजगारी दूर करना होगा, ग्रामीणों के लिए उनके निवास स्थानों पर या उनके पहुँच योग्य स्थानों पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होगें।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ग्रामीण क्षेत्रों में अकुषल मजदूरों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी प्रदान करता है। प्रस्तुत शोध पत्र में सतना जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का क्रियान्वयन होने के पश्चात स्वास्थ्य पर किस प्रकार का प्रभाव पडा है, इसका समाजषास्त्रीय अध्ययन करने का प्रयास किया गया है।
डॉ. रचना श्रीवास्तव मनरेगा, रोजगार, अकुषल मजदूर, ग्रामीण, बेरोजगारी, कुपोषण, बी.पी.एल., स्वास्थ्य सुविधाएं रोजगार गारंटी, गरीबी। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 4 | July-August 2022 Article Preview
विभागाध्यक्ष (समाजशास्त्र विभाग), शा.कन्या महाविद्यालय, रीवा (मध्य प्रदेश), भारत।
श्रीमती विनीता सिंह
शोध छात्रा (समाजशास्त्र विभाग), शा.कन्या महाविद्यालय, रीवा (मध्य प्रदेश), भारत।
Date of Publication : 2022-07-20
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Page(s) : 56-65
Manuscript Number : SHISRRJ225561
Publisher : Shauryam Research Institute
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