Manuscript Number : SHISRRJ23617
21वीं सदी में मातृभाषा ‘हिन्दी’ का संरक्षण एवं संवर्द्धन
Authors(1) :-श्रीमती शिखा माथुर देवभाषा संस्कृत से निःसृत हिन्दी भाषा भारतदेश में सदैव से देशवासियों के कंठ का हार बनकर रही है और जन-जन के मन-मस्तिष्क व हृदय में व्याप्त भाव-विचारों को प्रकट करने एवं लोगों में परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाने में सशक्त माध्यम बनकर उभरी है। यह हमारे देश की मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा मानी जाती रही है। वर्षों से भारत देश के ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, साहित्य-संस्कृति, धर्म-दर्शन आदि सभी को व्यापकता से अपने में सहेज कर रखने वाली और उसकी संवाहक बनी हुई इस भाषा ने सदैव से जन-जन का बहुशः उपकार किया है। अपनी उदारता, समन्वय और सामंजस्य की प्रवृत्ति के चलते ही इस भाषा ने कभी किसी धर्म, संस्कृति या सम्प्रदाय का विरोध न करके सभी को सहर्ष स्वीकारा एवं आत्मसात् किया है। परन्तु आज 21वीं सदी में यह भाषा बहुत उपेक्षित हो रही है; क्योंकि प्रायः सर्वत्र विदेशी भाषा- अंग्रेजी ने अपने पैर पसार रखे हैं तथा वह हर एक क्षेत्र, संस्था और कार्यालय में अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए है। आज अपने ही देश में अपनी मातृभाषा उपेक्षित हो चुकी है और विदेशी भाषा सभी के सर चढ़कर बोल रही है। देश के समस्त अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में अंग्रेजी हावी है, यह स्थिति सभी हिन्दुस्तानियों के लिए बड़ी शर्मनाक भी है और चिंतनीय भी। देश के कुछ क्षेत्रों एवं राज्यों में तो जैसे इसका अस्तित्व ही समाप्ति के कगार पर पहुँचा चुका है। यथा- मैं अपने ही प्रदेश दक्षिण भारत और यहाँ के विभिन्न राज्यों को देखूँ तो यहाँ सर्वत्र हिन्दी की स्थिति बहुत चिंताजनक बन चुकी है; क्योंकि यहाँ स्थानीय अथवा राज्यभाषा और अंग्रेजी भाषा का ही वर्चस्व बना हुआ है। ऐसी स्थिति में हमें अपने देश की इस गौरवमयी भाषा को बचाना और इसके अस्तित्व को सुदृढ़ करना अत्यावश्यक बन जाता है और इस हेतु उचित प्रसास बहुत जरूरी हैं।
श्रीमती शिखा माथुर देववाणी, अस्तित्वमान, विखण्डन, कालखण्ड, सुसंस्कृत, शीर्षस्थ, सम्राज्ञी, अस्मिता, विचारोपागम, पखवाड़ा। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 1 | January-February 2023 Article Preview
हिन्दी विभागाध्यक्षा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, बेंगलुरू ईस्ट, भारत।
Date of Publication : 2023-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 49-54
Manuscript Number : SHISRRJ23617
Publisher : Shauryam Research Institute
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