21वीं सदी में मातृभाषा ‘हिन्दी’ का संरक्षण एवं संवर्द्धन

Authors(1) :-श्रीमती शिखा माथुर

देवभाषा संस्कृत से निःसृत हिन्दी भाषा भारतदेश में सदैव से देशवासियों के कंठ का हार बनकर रही है और जन-जन के मन-मस्तिष्क व हृदय में व्याप्त भाव-विचारों को प्रकट करने एवं लोगों में परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाने में सशक्त माध्यम बनकर उभरी है। यह हमारे देश की मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा मानी जाती रही है। वर्षों से भारत देश के ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, साहित्य-संस्कृति, धर्म-दर्शन आदि सभी को व्यापकता से अपने में सहेज कर रखने वाली और उसकी संवाहक बनी हुई इस भाषा ने सदैव से जन-जन का बहुशः उपकार किया है। अपनी उदारता, समन्वय और सामंजस्य की प्रवृत्ति के चलते ही इस भाषा ने कभी किसी धर्म, संस्कृति या सम्प्रदाय का विरोध न करके सभी को सहर्ष स्वीकारा एवं आत्मसात् किया है। परन्तु आज 21वीं सदी में यह भाषा बहुत उपेक्षित हो रही है; क्योंकि प्रायः सर्वत्र विदेशी भाषा- अंग्रेजी ने अपने पैर पसार रखे हैं तथा वह हर एक क्षेत्र, संस्था और कार्यालय में अपना वर्चस्व स्थापित किए हुए है। आज अपने ही देश में अपनी मातृभाषा उपेक्षित हो चुकी है और विदेशी भाषा सभी के सर चढ़कर बोल रही है। देश के समस्त अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में अंग्रेजी हावी है, यह स्थिति सभी हिन्दुस्तानियों के लिए बड़ी शर्मनाक भी है और चिंतनीय भी। देश के कुछ क्षेत्रों एवं राज्यों में तो जैसे इसका अस्तित्व ही समाप्ति के कगार पर पहुँचा चुका है। यथा- मैं अपने ही प्रदेश दक्षिण भारत और यहाँ के विभिन्न राज्यों को देखूँ तो यहाँ सर्वत्र हिन्दी की स्थिति बहुत चिंताजनक बन चुकी है; क्योंकि यहाँ स्थानीय अथवा राज्यभाषा और अंग्रेजी भाषा का ही वर्चस्व बना हुआ है। ऐसी स्थिति में हमें अपने देश की इस गौरवमयी भाषा को बचाना और इसके अस्तित्व को सुदृढ़ करना अत्यावश्यक बन जाता है और इस हेतु उचित प्रसास बहुत जरूरी हैं।

Authors and Affiliations

श्रीमती शिखा माथुर
हिन्दी विभागाध्यक्षा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, बेंगलुरू ईस्ट, भारत।

देववाणी, अस्तित्वमान, विखण्डन, कालखण्ड, सुसंस्कृत, शीर्षस्थ, सम्राज्ञी, अस्मिता, विचारोपागम, पखवाड़ा।

  1. हिन्दी: भारत व विदेशों में: डॉ. दीपिका विजयवर्गीय, नवलोक प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण, वर्ष-2017
  2. वही, पृष्ठ-5, बंगाली- राजाराम मोहन राय ने अन्य भाषाओं के अतिरिक्त हिन्दी भाषा में बंगदूत का सन् 1826 में प्रकाशन किया।
  3. ‘सत्यार्थ प्रकाश’ - स्वामी दयानन्द सरस्वती ने गुजराती होने के बावजूद ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक दार्शनिक ग्रन्थ हिन्दी में ही लिखा।
  4. मीडिया: विश्व मंच पर हिन्दी, पृष्ठ-116, आलेख- श्रीश चन्द्र जैसवाल "राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी: अतीत के झरोखे से" में उल्लेखित।
  5. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में हिन्दी भाषा को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है।
  6. हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति, डॉ. शंकर दयाल शर्मा।
  7. वही, पृष्ठ-43
  8. ‘केसरी’ - मराठी भाषा का समाचार-पत्र, जिसकी स्थापना बाल गंगाधर तिलक ने 4 जनवरी सन् 1881 में की थी।
  9. देखें- हिन्दी पत्रकारिताः जातीय चेतना और खड़ी बोली साहित्य की निर्माण भूमि, कृष्णबिहारी मिश्रा, नई दिल्ली, भारतीय जनपथ, पाँचवा संस्करण, पृष्ठ- 293 ‘हिन्दी केसरी’ पत्र को पण्डित माधवराव सप्रे ने 13 अप्रैल सन् 1907 को छापना आरम्भ किया, जो कि तिलक के केसरी का हिन्दी संस्करण था। सप्रे ने तिलक की अनुमति से ही इसका प्रकाशन आरम्भ किया।
  10. हिन्दीः भारत व विदेशों में, डॉ. दीपिका विजयवर्गीय, पृष्ठ-5 पर उल्लेखित
  11. वही, अध्याय-2 ‘भारत में हिन्दी का प्रचार-प्रसार’।
  12. ‘राजस्थान पत्रिका’ समाचार-पत्र, जयपुर दिनांक 12 फरवरी, 2023 में उल्लेखित तथ्य।
  13. हिन्दी: भारत व विदेशों में, अध्याय-3, पृष्ठ 58-65 ‘अन्तर्राष्ट्रीय एवं वैश्विक मंच पर हिन्दी’ एवं ‘मीडियाः विश्व मंच पर हिन्दी’।
  14. ‘राजस्थान पत्रिका’ समाचार-पत्र, जयपुर, 15 फरवरी 2023 बुधवार, में प्रकाशित खबर- "नाडी में सम्मेलन से पहले ‘चहकती’ नजर आई हिन्दी"।
  15. वही, जयपुर, 18 फरवरी, 2023, शनिवार, में प्रकाशित "दुनिया में बढ़ रहा हिन्दी का दबदबा......... मगर बहुत काम है अभी बाकी"।

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 1 | January-February 2023
Date of Publication : 2023-01-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 49-54
Manuscript Number : SHISRRJ23617
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

श्रीमती शिखा माथुर, "21वीं सदी में मातृभाषा ‘हिन्दी’ का संरक्षण एवं संवर्द्धन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 1, pp.49-54, January-February.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ23617

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