Manuscript Number : SHISRRJ23643
वैदिक साहित्य में पर्यावरण चेतना
Authors(1) :-डाॅ. विजय कुमार शर्मा वैदिक काल में जिस प्रकार से मानव प्राकृतिक वातावरण को बिना क्षति पहुँचाए उसके साथ आनन्दमयी जीवन व्यतीत करता था। लेकिन आधुनिक युग में मनुष्य प्रकृति के तत्वों को नुकसान पहुँचाकर वातावरण को प्रदूषित कर रहा है, आने वाले समय में यह वातावरण मनुष्य के रहने के अनुकूल नहीं रह जाएगा। इसलिए हमें अभी से सजग होकर पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करना चाहिए।
डाॅ. विजय कुमार शर्मा वैदिक, साहित्य, पर्यावरण, मनुष्य,विज्ञान, संस्कृत, वेद। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 4 | July-August 2023 Article Preview
असिस्टेण्ट प्रोफेसर वेद, वेद विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2023-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 10-15
Manuscript Number : SHISRRJ23643
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ23643