मघ्यकालीन भारत में उर्दू भाषा एवं साहित्य का विकास

Authors(1) :-डाॅ. मोहम्मद शकीम

उर्दू भाषा एवं साहित्य का विकास दो विभिन्न संस्कृतियों के सहयोग का परिणाम है। इस कारण किसी एक संस्कृति को इसकी जननी नहीं कहा जा सकता है। इसके विकास में किसी एक विशेष वर्ग अथवा प्रान्त का श्रेय नहीं है, वरन समस्त भारतीयों को है जैसा कि सैय्यद सुलेमान नदवी का मत है कि ‘‘आज कल बाज़ फाज़िलों ने पंजाब में उर्दू और बाज़ अहले दकन ने दकन में उर्दू और बाज़ अज़ीज़ो ने गुजरात में उर्दू का नारा बुलंद किया है। लेकिन हकीकत यह मालूम होती है कि हर मुम्ताज सूबे की मुकामी बोली में मुसलमानों की आमद व रफ़्त और मेलजोल से जो तग़य्युरात हुये उन सबका नाम उर्दू रखा गया है।23 समस्त भारत वासियों ने चाहे वे हिन्दु हांे अथवा मुसलमान उर्दू भाषा के द्वारा अपने विचार अभिव्यक्त किये और स्वतन्त्रता आंदोलन में भी उर्दू अदब की महती भूमिका रही। इस तरह इसके साहित्य को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया है। और आज भी बड़े पैमाने पर उर्दू भाषा बोली जाती है। उर्दू भाषा विभिन्न परिस्थितियों से होते हुए आज भी अपनी मिठास के लिए जानी जाती है। साहित्यकार रचना करते समय, फिल्म निर्माता फिल्म बनाते समय उर्दू के शब्दों का प्रयोग करते हैं और ऐसा करके उर्दू भाषा के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ. मोहम्मद शकीम
पूर्व शोध छात्र, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

मघ्यकालीन, भारत, उदूर्, भाषा, साहित्य, मुसलमान, फिल्म, इतिहास।

  1. शेरानी महमूद खान, पंजाब में उर्दू, मकतबा कुल्लियाँ बशीरतगंज लखनऊ 1949, पृष्ठ-21
  2. हुसैन मसूद, मुकदम-ए-तारीखे़-ज़बान उर्दू एकेडमी सिंध 1966 पृष्ठ 138
  3. सन्दीलवी शुजाअत अली, तआरूफ तारीखे ज़बान-ए-उर्दू सरफराज कौमी प्रेस लखनऊ, 1963, पृष्ठ-15
  4. हुसेन युसुफ, ग्लिम्पसेस आव मेडिवल इंडियन कल्चर, एशिया पब्लिशिंग हाऊस, दिल्ली, 1959, पृष्ठ-102
  5. अहमद लईक, मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, शारदा पुस्तक भवन इलाहाबाद 2009 पृष्ठ 67
  6. चटर्जी, एस0 के0, दि ओरिजिन एण्ड डेवलपमेंट आफ दि बंगाली लैंगवेज कलकत्ता युनिवर्सिटी प्रेस कलकत्ता 1926, पृष्ठ-12
  7. सुल्ताना रफिया, उर्दू नस्र का आग़ाज और इरतक़ा, मजलिसे तहकीके उर्दू हदराबाद संस्करण-1 पृष्ठ-23
  8. वही, पृष्ठ 47
  9. पूर्वोक्त, मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, पृष्ठ-67-68
  10. वही, पृष्ठ- 68
  11. पूर्वोक्त, तआर्रूफ़ तारीखे ज़बान उर्दू, पृष्ठ 16-20
  12. वही, पृष्ठ-1-20
  13. फिराक रघुपति सहाय, उर्दू भाषा और साहित्य, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ, 2008, पृष्ठ-83
  14. हक़ अब्दुल, उर्दू की इब्तेदाई नशोनुमा अंनजुमन प्रेस कराची सहयोगी ग़ालिव इंस्टीटयूट नई दिल्ली, 1986, पृष्ठ-16
  15. पूर्वाेक्त, ग्लिम्पसेस आव मेडिवल इण्डियन कल्चर, पृष्ठ -108
  16. पूर्वाेक्त, उर्दू नस्र का आगाज़ और इरतक़ा, पृष्ठ-46
  17. पूर्वाेक्त, मध्यकालीन भारतीय संस्कृति पृष्ठ-70
  18. सक्सेना, बी0 पी0 हिस्ट्री ऑव शाहजहाँ आफ देहली इंडियन प्रेस इलाहाबाद 1932, पृष्ठ-254-55
  19. नदवी, अब्दुल सलाम, शेरूल हिन्द भाग-1 दारूल मुुसन्नफ़ीन शिबली एकेडमी आजमगढ़ 2009, पृष्ठ- 26
  20. वही, पृष्ठ-26-27
  21. वही, पृष्ठ-26-30
  22. मरसिया शोक गीत है जिसमे मरे हुए व्यक्ति का गुणगान कर शोक प्रकट किया जाता है।
  23. पूर्वाेक्त, मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, पृष्ठ 73

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-12
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 70-75
Manuscript Number : SHISRRJ236611
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. मोहम्मद शकीम, "मघ्यकालीन भारत में उर्दू भाषा एवं साहित्य का विकास ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.70-75, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236611

Article Preview