माध्यमिक शिक्षा के गुणात्मक उन्नयन में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता और महत्त्व

Authors(1) :-डाॅ. दुर्गेश सिंह यादव

शिक्षा मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है। शिक्षा से ही मानव जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। यही एक ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से मानव की योग्यताओं का अधिक से अधिक विकास सर्वाधिक सरल, सुव्यवस्थित एवं प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। शिक्षा ही वह साधन है, जिसके माध्यम से समग्र समाज अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। प्राथमिक और उच्च शिक्षा के बीच की जो शिक्षा होती है वह माध्यमिक शिक्षा कहलाती है। आज माध्यमिक शिक्षा प्रत्येक देश के प्राथमिक और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी है। माध्यमिक शिक्षा का सूत्रपात करने का श्रेय यूरोपियन मिशनरीज को जाता है, उन्होंने 18वीं शताब्दी के अंत में भारत में माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की। सबसे पहला माध्यमिक विद्यालय फ्रान्सीसी मिशनरियों द्वारा पांडिचेरी में खोला गया लेकिन माध्यमिक शिक्षा का स्वरूप वुड घोषणा पत्र (1854) के बाद ही सामने आया।

Authors and Affiliations

डाॅ. दुर्गेश सिंह यादव
सहायक आचार्य, बी.एड. विभाग, हरिश्चन्द्र स्नातकोत्तर कालेज, वाराणसी, भारत

अभिन्न अंग, माध्यमिक शिक्षा, स्वतंत्रता प्राप्ति, सर्वांगीण विकास

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Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-12
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 76-82
Manuscript Number : SHISRRJ236612
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. दुर्गेश सिंह यादव, "माध्यमिक शिक्षा के गुणात्मक उन्नयन में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता और महत्त्व ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.76-82, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236612

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