हाशिए का समाज और भगवानदास मोरवाल की कहानियों में सामाजिक-संघर्ष

Authors(1) :-आमिर खान

भारत की सामाजिक संरचना में समय-समय पर बहुत बदलाव आये हैं। देश के अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं। अलग-अलग संस्कृति के लोग निवास करते हैं। इसलिए ही हर धर्म के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आदि परिस्थितियाँ एक जैसी नहीं हैं। अत: कुछ समुदाय उच्च वर्ग में और कुछ समुदाय निम्न वर्ग में आते है। इन्हीं में उत्पन्न होता है एक अलग समाज जिसे हम ‘हाशिए के समाज’ के नाम से जानते हैं। अत: भगवानदास मोरवाल की कहानियों में हाशिए के समाज का सामाजिक संघर्ष प्रमुख है।

Authors and Affiliations

आमिर खान
शोधार्थी जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

सामाजिक संरचना, हाशिए का समाज, स्त्री, सामाजिक संघर्ष इत्यादि।

  1. https://www.apnimaati.com/2021/11/blog-post_html
  2. मीणा, हरिराम, हाशिए का समाज और राज, जनसत्ता, 11 मार्च 2013
  3. प्रधान संपादक –शभुनाथ, हिंदी साहित्य ज्ञानकोश (खंड-7), वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2019, पृष्ठ संख्या-4385
  4. मोरवाल, भगवानदास, महराब और अन्य कहानियां, किताब के फ्लैप से
  5. वही
  6. मोरवाल, भगवानदास, महराब और अन्य कहानियां, हंस प्रकाशन, नई दिल्ली, प्र. सं.-2021 पृष्ठ. सं.-16
  7. मोरवाल, भगवानदास, महराब और अन्य कहानियां, हंस प्रकाशन, नई दिल्ली, प्र. सं.-2021 पृष्ठ. सं.-45

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-21
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 131-134
Manuscript Number : SHISRRJ236621
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

आमिर खान, "हाशिए का समाज और भगवानदास मोरवाल की कहानियों में सामाजिक-संघर्ष ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.131-134, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236621

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