विद्यार्थी के सर्वाङ्गीण विकास में अष्टांग योग की भूमिका

Authors(1) :-डॉ. लेखराम दन्नाना

योग वास्तव में एक वैज्ञानिक जीवन शैली है जिसका हमारे जीवन के प्रत्येक पक्ष पर गहराई से प्रभाव पड़ता है। योग एक सुव्यवस्थित वैज्ञानिक जीवन शैली के रूप में प्रमाणित हो चुका है। व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, रोगों के उपचार हेतु, अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाने, तनाव प्रबंधन, मनोदैहिक रोगों के उपचार में योग पद्धति को अपनाते हुए देखे जा रहे हैं। विद्यार्थियों पर बढ़ते तनाव को योगाभ्यास से कम किया जा सकता है। योगाभ्यास विद्यार्थियों को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। स्कूलों व महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षा विषय में योग पढ़ाया जा रहा है। योग अभ्यास से विद्यार्थियों की एकाग्रता व स्मृति शक्ति पर भी सकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। नैतिक जीवन पर भी योगाभ्यास का सकारात्मक प्रभाव है। योग के अंतर्गत आने वाले यम में दूसरों के साथ हमारे व्यवहार व कर्तव्य को सिखाया जाता है, वहीं नियम के अंतर्गत बच्चों को स्वयं के अंदर अनुशासन स्थापित करना सिखाया जा रहा है। विद्यार्थी के सर्वाङ्गीण विकास में अष्टांग योग की क्या भूमिका है? वह इस आलेख में प्रस्तुत है ।

Authors and Affiliations

डॉ. लेखराम दन्नाना
सहायक आचार्य , संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

अष्टांग योग, पाद, विद्यार्थी, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, विकास।

  1. योगदर्शन,पतंजलि मुनि, डॉ.देवी सहाय पाण्डेय,चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान,देहली,2013।
  2. भारतीय दर्शन, जगदीशचन्द्र: मिश्र: चौखम्बा-सुरभारतीप्रकाशनम्, वाराणसी, 2015 ।
  3. सर्वदर्शनसंग्रह:, माधावाचार्यकृत: (स.) डॉ. उमाशंकरः शर्मा ऋषि: चौखम्बा-विद्याभवनम्, वाराणसी, 2016 ।

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-11-21
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 251-255
Manuscript Number : SHISRRJ236638
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. लेखराम दन्नाना, "विद्यार्थी के सर्वाङ्गीण विकास में अष्टांग योग की भूमिका ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.251-255, November-December.2023
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236638

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