Manuscript Number : SHISRRJ236644
वर्तमान समय में गांधीवादी दर्शन की प्रासंगिकता
Authors(1) :-राम सुबाष वर्मा
गांधी जी का राष्ट्रवाद किसी राष्ट्र के प्रति हिंसा, प्रतिक्रिया और प्रतिरोध में खड़े होना नहीं है बल्कि यह वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र पर आधारित है। वे संकीर्ण राष्ट्रवाद एवं अन्ध राष्ट्रवाद के विरोधी थे। उन्होंने यंग इण्डिया 04 अप्रैल, 1929 के अंक में लिखा था कि मैं भारतवर्ष का उत्थान इसलिए चाहता हूँ जिससे सम्पूर्ण विश्व का हित हो सके। मैं भारतवर्ष का उत्थान दूसर राष्ट्र के विनाश पर नहीं चाहता हूँ। मैं उस राष्ट्रभक्ति की निन्दा करता हूँ जो दूसरे राष्ट्रों के शोषण एवं मुसीबतो से लाभ उठाने के लिए उत्साहित करती है। गांधी जी की कल्पना का विश्व अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति, सहयोग एवं मित्रता का विश्व था।
राम सुबाष वर्मा
गांधीवादी, हिंसा, प्रतिक्रिया, प्रतिरोध, राष्ट्रभक्ति, शोषण, शान्ति, वैश्विक। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर (राजनीति विज्ञान विभाग),पं0 जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय, बाँदा।
Date of Publication : 2023-11-21
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 286-289
Manuscript Number : SHISRRJ236644
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236644