Manuscript Number : SHISRRJ236646
उच्चारण दोष : संस्कृतभाषा के विशेष संदर्भ में
Authors(1) :-डॉ. रवि प्रभात संस्कृतभाषा का उच्चारण प्रायः दोषयुक्त हो जाता है। दोषयुक्त उच्चारण के परिणामस्वरूप वक्ता के अभीष्ट अर्थ को श्रोता समझ नहीं पाता है तथा अर्थाभिव्यक्ति नहीं हो पाती है। अतः उच्चारणों में होने वाले दोष उसके कारण को जानकर तथा उन दोषों का परिहार कर वक्ता प्रत्येक वर्ण का शुद्ध.शुद्ध उच्चारण कर सकता है, जिससे उसको इहलोक ही नहीं परलोक में भी प्रतिष्ठित पद प्राप्त हो सकता है।
डॉ. रवि प्रभात दोष, संस्कृतभाषा, उच्चारण, श्रोता, अर्थाभिव्यक्ति, परलोक, इहलोक। Publication Details Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023 Article Preview
संस्कृत विभाग, महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय, बक्सर, बिहार।
Date of Publication : 2023-11-21
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 294-298
Manuscript Number : SHISRRJ236646
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ236646