Manuscript Number : SHISRRJ247111
गोंड जनजाति में सामाजिक परिवर्तन (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में)
Authors(1) :-सीमा पटेल परिवर्तन प्रकृति का नियम है समाज प्रकृति का एक अंग है। इस कारण समाज में परिवर्तन का होना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। सामाजिक जीवन में उसके स्वरूप, संरचना, व्यवस्था, प्रथा, रीति-रिवाज, मूल्य आदर्श सभी में परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर जारी है। ऐसा कोई भी समाज नहीं है जिसमें परिवर्तन की प्रक्रिया न हो। प्रत्येक समाज में सामाजिक परिवर्तन की गति एक समान नहीं होती। किसी समाज में परिवर्तन काफी तेज होता है और किसी समाज में काफी धीमी गति से। सामाजिक जीवन के एक पक्ष में होने वाले परिवर्तन उनके अन्य पक्षों को भी परिवर्तित कर देता है। सामाजिक परिवर्तन के लिये अनेक कारक उत्तरदायी होते हैं। मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, धार्मिक कारक महत्वपूर्ण है। सामाजिक परिवर्तन सामाजिक कारक के सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। गोंड़ समाज में परिवार और विवाह नामक संस्थाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। गोंड़ जाति आज भी अपने प्राचीन परम्पराओं के प्रति निष्ठावान है, जिससे ये परम्पराओं को आसानी से तोड़ना नहीं चाहते हैं। जो गांव पर्वतों के किनारे जंगलों के बीच बसे हैं, उसमें परिवर्तन न के बराबर हुआ है। जबकि जो परिवार बाहरी वातावरण के सम्पर्क में आ हैं, उनमें भी परिवर्तन उपरी तौर पर ही दिखाई देता है। आन्तरिक रूप से ये अभी भी अपनी परम्परागत रीतियों, पद्धतियों से बंधे हुए हैं।
सीमा पटेल गोंड जनजाति, सामाजिक परिवर्तन, पारिवारिक एवं वैवाहिक स्थिति। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024 Article Preview
शोधार्थी, समाजशास्त्र, शास. ठाकुर रणमत सिंह (स्वशासी) महाविद्यालय, रीवा (म0प्र0), भारत।
Date of Publication : 2024-01-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 80-94
Manuscript Number : SHISRRJ247111
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ247111