Manuscript Number : SHISRRJ247112
वैदिक दर्शन में 'मनुष्य' की अवधारणा
Authors(1) :-डॉ. वालखडे भूपेन्द्र अरूण स्त्री-विमर्श का जो स्वरूप हमारे समक्ष हैं, उसके पीछे स्त्री मुक्ति आंदोलन की एक लंबी परंपरा दिखाई देती है । स्त्री मुक्ति आंदोलन चाहे वह पाश्चात्य हो या भारतीय स्त्री को अपनी मुक्ति के लिए एक है । स्त्री को अपने स्वत्व, अस्तित्व का एहसास करवाने में विभिन्न आंदोलनों, सामाजिक संस्थानों को संघर्ष करना पड़ा है । पाश्चात्य स्त्री आर्थिक स्वतंत्रता, मताधिकार, पुरुषों के समान स्थान पाने के लिए संघर्षरत हैं । लेकिन भारतीय स्त्री को आर्थिक स्वतंत्रता से भी अधिक स्वयं के जीवन को जीने के अधिकार प्राप्त करने का संघर्ष है । पाश्चात्य एवं भारतीय स्त्री आंदोलन परंपरा में एक लंबा अंतर दिखाई देता है जिसका दो अलग-अलग हिस्सों में विचार करना आवश्यक है । भारत में जो स्त्री आंदोलन की परंपरा दिखाई देती है वह कहीं-न-कहीं पाश्चात्य विचारों से प्रभावित दिखाई देती है ।
डॉ. वालखडे भूपेन्द्र अरूण स्त्री, स्वतंत्रता, समानता, परंपरा, सामाजिक परिवर्तन।
Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024 Article Preview
सहायक आचार्य, संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2024-02-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 95-100
Manuscript Number : SHISRRJ247112
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ247112