Manuscript Number : SHISRRJ247123
माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत हिन्दी विषय के विद्यार्थियों में भूमिका निर्वाह शिक्षण प्रतिमान एवम् आगमन चिन्तन शिक्षण प्रतिमान के द्वारा शिक्षण से उनके समायोजन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन
Authors(2) :-विनीत सिंह, डाॅ0 प्रशान्त शुक्ला शिक्षण प्रतिमानों का विकास आदिकाल से हुआ है। शिक्षण प्रतिमानों को शिक्षा-दर्शन शासन प्रणाली, सामाजिक मूल्यों तथा शिक्षा मनोविज्ञान ने प्रभावित किया है। शिक्षा प्रणाली के उद्देश्यों तथा मूल्यों को शिक्षा दर्शन ही निर्धारित करता है। किसी भी देश के तत्कालीन राजनैतिक सिद्धान्त भी शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों के निर्धारण में महत्वपूर्ण कार्य करते है। शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समुचित साधनों का निर्धारण शिक्षा मनोविज्ञान ही करती है। इस प्रकार शिक्षण प्रतिमानों का शिक्षा मनोविज्ञान से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। शिक्षण प्रतिमानों का विकास अधिगम के सिद्धान्तों के आधार पर किया गया है शिक्षण सिद्धान्त के अन्तर्गत चरों के कार्यों, आपसी सम्बन्धों तथा अन्तः प्रक्रिया की क्रमबद्ध रूप से व्याख्या की जाती है जबकि प्रतिमान केे चरों के लिए अधिगम के सिद्धान्तों के सादृश अनुभव से उनकी उपयोगिता के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है।
विनीत सिंह शिक्षण प्रतिमान, समायोजन, अधिगम सिद्धान्त, अनुदेशन, मूल्यांकन प्रणाली। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024 Article Preview
शोधार्थी शिक्षा संकाय, हण्डिया पी0जी0 काॅलेज, हण्डिया, सम्बद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर(उ0प्र0)
डाॅ0 प्रशान्त शुक्ला
असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा संकाय,हण्डिया पी0जी0 काॅलेज, हण्डिया, प्रयागराज सम्बद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर(उ0प्र0)
Date of Publication : 2024-02-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 175-187
Manuscript Number : SHISRRJ247123
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ247123