Manuscript Number : SHISRRJ247153
पंडित दीन दयाल उपाध्याय और आत्म निर्भर भारत
Authors(1) :-सुशील कुमार त्रिपाठी प्रस्तुत शोध पत्र आत्म निर्भर भारत अभियान कार्यक्रम पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय के आर्थिक विचारों की अमिट छाप का विशद विश्लेषण प्रस्तुत करता है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य, प्रतिष्ठित राष्ट्रवादी राजनीतिक चिंतक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री एवं भारतीय संस्कृति और परम्पराओं के पोषक थे। वह एक महान विचारक थे जो गरीबों के कल्याण, उत्पादन और आर्थिक गतिविधियों में स्थानीय भागीदारी को लेकर प्रयासरत रहते थे। उनका मानना था कि समाजवादी और पूंजीवादी दोनों व्यवस्थाएं व्यक्ति के एकांकी विकास से संबंधित है जबकि व्यक्ति की समग्र जरूरतों का विकास किए बिना कोई भी विचार भारत के विकास के अनुकूल नहीं हो सकता। उन्होंने व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए एकात्म अर्थ नीति का प्रतिपादन किया जिसका आशय ऐसी अर्थनीति से है जो केवल आर्थिक दृष्टिकोण तक सीमित न रहकर जीवन को समृद्ध और सुखी बनाने हेतु समग्र पहलुओं पर ध्यान देती है। उनका मानना था कि किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता और उसके उसके आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उसका आत्मनिर्भर होना आवश्यक है।हाल में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ कार्यक्रमों जैसे स्टार्ट अप, स्टैंडअप, दीन दयाल अंत्योदय कार्यक्रम, मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना और आत्मनिर्भर भारत अभियान इत्यादि के माध्यम से आम भारतीय को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये सभी कार्यक्रम पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों से ओत-प्रोत नजर आते हैं।
सुशील कुमार त्रिपाठी एकात्म अर्थ नीति, स्टार्टअप, स्टैंडअप। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 4 | July-August 2024 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, बी. बी. डी. पी. जी. कॉलेज, परुइया आश्रम, अंबेडकर नगर (उ.प्र.)
Date of Publication : 2024-08-16
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 119-123
Manuscript Number : SHISRRJ247153
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ247153