Manuscript Number : SHISRRJ2472125
श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित राजा अम्बरीष आख्यान
Authors(1) :-दिवाकर कटारे श्रीमद्भागवत्महापुराण एक भक्तचरित महापुराण है यदि ऐसा कहे तो कुछ अतिश्योक्ति नहीं होगी। नवम स्कन्ध को देखे तो यहाॅं आख्यानों की प्रधानता है उन्हीं आख्यानों में एक मुख्य आख्यान हेै भगवद् भक्त शिरोमणि राजा अम्बरीष की कथा। राजा अम्बरीष को विरासत में पिता की सम्पत्ति तो मिली थी, परन्तु सबसे बड़ा धन जो उसे मिला था वह था- धर्म एवं नीति का धन। आज के पिता को यह ध्यान रखना चाहिये कि अपने पुत्रों के लिए धन-सम्पत्ति भले ही न छोड़ जाये, पर संस्कारों की सम्पत्ति उन्हें जरूर देकर जाये। क्योंकि जीवन संस्कारों से ही संवरेगा। संस्कारों के बिना जीवन में विकृतियाॅं लायेगा, जो समाज के लिये हितकर नहीं होगा। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सन्त, मुनि एवं ऋषियों को भी अकारण किसी भगवद् भक्त का अपमान नहीं करना चाहिये और ना ही उसे श्रापित करना चाहिये। एक और शिक्षा जो इस कथा से प्रकट होती है वह यह है कि, भगवान के भक्त को अपनी रक्षा की चिन्ता नहीं करनी चाहिए उसे तो निर्भीकता से अपना कर्म करना चाहिए। रक्षा की चिन्ता भगवान स्वंय करते हैं।
दिवाकर कटारे राजा अम्बरीष, धर्म एवं नीति, राजनीति, भगवद् भक्त, दुर्वासाऋषि, श्रीमद्भागवतपुराण।
Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 2 | March-April 2024 Article Preview
शोधार्थी, संस्कृत विभाग, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2024-03-15
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 38-40
Manuscript Number : SHISRRJ2472125
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2472125