Manuscript Number : SHISRRJ2472129
श्रीमद्वाल्मीकि रामायण एवं उत्तररामचरितम् में अलंकार सौन्दर्य की तुलनात्मक मीमांसा
Authors(1) :-आशीष कुमार चतुर्वेदी आदिकवि वाल्मीकि तथा महाकवि भवभूति दोनों ही संस्कृत-साहित्य के देदीप्यमान नक्षत्रों में से हैं। दोनों ही कवियों ने उत्कृष्टतम काव्य कृतियों की रचना की है। तथा अपनी काव्यकृतियों आदिकाव्य रामायण एवं उत्तररामचरित नाटक को विभिन्न अलंकारों द्वारा शोभनीय बनाया है। दोनों महाकवियों वाल्मीकि एवं भवभूति ने अपनी कृतियों में सुन्दर अलंकार योजना का निदर्शन किया है। आदिकवि वाल्मीकि की कृति रामायण संस्कृत-साहित्य की प्रथम कृति है। अतः उसमें अलंकार इत्यादि तत्वों का प्रारम्भिक रूप दिखलाई पड़ता है। वह एक ऐसे काल की रचना है जब अलंकार विषयक ग्रन्थ उपलब्ध नहीं थे। अतएव अलंकारों का प्रारम्भिक रूप होने के कारण रामायण में अलंकारों में जटिलता एवं संकीर्णता का समावेश नहीं हुआ है। उसमें अलंकार अत्यन्त सरल एवं सहज रूप में प्राप्त होते हैं। अलंकारों में स्वाभाविकता एवं सहजता दृष्टिगत होती है, जिसके लिए वाल्मीकि को पृथक् प्रयास नहीं करना पड़ा। महाकवि भवभूति का उत्तररामचरित उस समय की रवना है जबकि साहित्यशास्त्र पर अनेक ग्रन्थ लिखे जा चुके थे। उनका स्पष्ट प्रभाव भवभूति की रचना पर दृष्टिगोचर होता है। रामायण की अपेक्षा उत्तररामचरित के अलंकारों में अधिक जटिलता एवं संकीर्णता दिखलाई पड़ती है। उत्तररामचरित में अलंकारों का परिपक्व रूप मिलता है। यद्यपि महाकवि भवभूति में कहीं-कहीं कृत्रिमता के दर्शन होते हैं।
आशीष कुमार चतुर्वेदी श्रीमद्वाल्मीकि, रामायण, उत्तररामचरितम्, अलंकार, सौन्दर्य, संस्कृत-साहित्य, महाकवि भवभूति। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024 Article Preview
शोधच्छात्र, केन्द्रीय संकृत विश्वविद्यालय, गंगानाथ झा परिसर, प्रयागराज
Date of Publication : 2024-05-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 65-79
Manuscript Number : SHISRRJ2472129
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ2472129