महाकवि बाणभट्ट विरचित कादम्बरी में पर्यावरणीय अवधारणा

Authors(1) :-अमित त्रिपाठी

जब हम अपने चारों ओर दृष्टिपात करते हैं तो स्वयं को एक अदृश्य शक्ति से आच्छादित पाते हैं जिसको हम पर्यावरण के रूप में जानते है। मानव जाति का आधार यही वातावरण है जिसके बिना मानव के जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है। लेकिन मानव की स्वार्थ लोलुपता और अन्धाधुन्ध प्राकृतिक दोहन के कारण वर्तमान समय पर्यावरण में असन्तुलता उत्पन्न हो गयी जो पर्यावरण प्रदूषण रूपी दानव के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित हो गया है। अब आवश्यकता है पुनः सम्पूर्ण विश्व को प्राचीन वैदिक परम्पराओं की ओर लौटने की जिससे हमारे मन में प्रकृति के प्रति आदर और प्रेम बढ़ सके हमारे लिए वृक्ष पुनः हमारे बन्धु-बान्धव के रूप में प्रतीत हो सकें। मानव के अन्दर प्रकृति प्रेम को जाग्रत करने के लिए विभिन्न संस्कृत कथाओं की रचना हुई जिसमें महाकवि बाणभट्ट विरचित कादम्बरी-कथा प्रमुख है। जिसमें प्रकृति अध्येता के सम्मुख नर्तकी की भाँति अठखेलियाँ करती हुई से दिखती है और पर्यावरण के नैसर्गिक सौन्दर्य को अभिव्यक्त करती है तथा पर्यावरण संरक्षण उपदेश करती हुई-सी प्रतीत होती है।

Authors and Affiliations

अमित त्रिपाठी
शोधच्छात्र, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी, उ0प्र0

पर्यावरण, कादम्बरी, महाकवि बाणभट्ट, प्रदूषण, बन्धु-बान्धव, मानव स्वार्थ, लोलुपता, अन्धाधुन्ध, प्राकृतिक दोहन।

  1. अर्थववेद – डा. तुलसीराम शर्मा
  2. ऋक् सुक्त संग्रह- ङा हरिदत्त शास्त्री
  3. ईशादि नव उपनिषद् - गीता प्रेस गोरखपुर
  4. कादम्बरी कथा मुखम् – रामसिया मिश्र
  5. पर्यावरण एवं पर्यावरणीय संरक्षण विधि की रूप रेखा -डॉ. अनिरुद्ध प्रसाद
  6. कादम्बरी -कथामुखम् पम्पासरोवर वर्णन, रामसिया मिश्र, पृष्ठसंख्या – 131
  7. कादम्बरी- विन्ध्याटवी वर्णन, रामसिया मिश्र, पृष्ठ संख्या- 115

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024
Date of Publication : 2024-11-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 24-26
Manuscript Number : SHISRRJ24764
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

अमित त्रिपाठी, "महाकवि बाणभट्ट विरचित कादम्बरी में पर्यावरणीय अवधारणा ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 7, Issue 6, pp.24-26, November-December.2024
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24764

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