Manuscript Number : SHISRRJ24766
ऋग्वेद में वर्णित विशिष्ट प्रमुख औषधियाँ एक अध्ययन
Authors(1) :-डाॅ. देव नारायण पाठक सनातन संस्कृति में वेदों को अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व वेदों के महत्व से परिचित रहा है। भारतीय संस्कृति का आकर्षण ही है कि अनेक पाश्चात्य मनीषियों ने वेदों का अध्ययन और विवेचन किया है। वास्तव में भारतीय संस्कृति के मूल में हमारे ‘वेद‘ ही है। जीवन के आरम्भ से लेकर मृत्यु-पर्यन्त, हर विषय का संकलन वेदों में परिलक्षित होता है। वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित ग्रन्थ है और यह वैदिक ज्ञान अत्यन्त समृद्ध है। वेदांे को अपौरुषेय कहा जाता है। इन्हें श्रुति भी कहते है। जिसका अर्थ है- ‘‘सुना हुआ।‘‘
सनातन संस्कृति के आधारभूत इन वेदों की संख्या चार है। जिनमें से प्रथम वेद ‘ऋग्वेद‘ है। यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद अन्य तीन महत्वपूर्ण वेद है। सभी वेद अपने विशिष्ट वण्र्य विषयों के कारण अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखते हंै। यद्यपि ऋग्वेद सर्वप्रथम लिखित ग्रन्थ है। अतः उसमें वण्र्य विषय और अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
डाॅ. देव नारायण पाठक ऋग्वेद, औषधियाँ, प्रथम परिचय Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024 Article Preview
सहायक क्षेत्रीय निदेशक इग्नू, क्षेत्रीय केन्द्र अहमदाबाद।
Date of Publication : 2024-11-25
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 36-46
Manuscript Number : SHISRRJ24766
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24766