नासिरा शर्मा के कथा साहित्य में स्त्री मुक्ति का प्रश्न

Authors(1) :-डॉ सत्य प्रकाश पाण्डेय

नासिरा शर्मा के कथा साहित्य की अपनी खास विशेषता है। वह स्त्री-मर्द के विमर्श से ऊपर उठकर जीवन में आनंद ढूंढती हैं। तलाकशुदा औरतों की विपत्तियां का रोना ना रोकर पीड़ित स्त्रियों के लिए जीवन का नया मार्ग तलाशती हैं। जीवन का ऐसा मार्ग जहां स्त्री विलाप ना करके खुद को सशक्त, आजाद और गरिमा पूर्ण जीवन दे सके ‘बावली’ कहानी की सलमा, ‘ततैया’ कहानी की सन्नो, ‘गूंगा आसमान‘ कहानी की मेहर अंगीज, ‘आखिरी पहर‘ कहानी की जाहेदा ,‘शाल्मली‘ उपन्यास की शाल्मली व सरोज इन सब पात्रों की संरचना नासिरा जी ने इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर किया है। जो उनकी स्त्री मुक्ति की चेतना को दिखाती है।

Authors and Affiliations

डॉ सत्य प्रकाश पाण्डेय
सहायक आचार्य हिंदी, बाबा बरुआ दास पी. जी. कॉलेज, परुइया आश्रम, अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश।

नासिरा शर्मा, कथा साहित्य, स्त्री मुक्ति, औरत, इज्जत।

  1. औरत के लिए औरत,नासिरा शर्मा ,सामपित प्रकाशन नई दिल्ली ,संस्करण-2019, पृष्ठ सं. 07
  2. गूंगा आसमान ,नासिरा शर्मा ,वाग्देवी प्रकाशन ,बीकानेर ,संस्करण 2020 ,पृष्ठ सं. 47
  3. मेरी प्रिय कहानियां, नासिरा शर्मा, राजपाल एण्ड सन्स ,दिल्ली, संस्करण 2013,पृ.सं.102
  4. वही पृष्ठ सं.104
  5. पत्थर गली ,नासिरा शर्मा, राजकमल प्रकाशन दिल्ली, चैथा सं.2018,पृष्ठ सं.48
  6. खुदा की वापसी, नासिरा शर्मा, भारतीय ग्यानपीठ प्रकाशन ,दिल्ली,1998,पृष्ठ सं.49
  7. बुतखाना, नासिरा शर्मा, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद,प्रथम आवृत्ति2008,पृष्ठ सं.96
  8. नासिरा शर्मा की चुनिंदा कहानियां, साहित्य भण्डार प्रकाशन,इलाहाबाद,2014,पृष्ठ सं.-21
  9. पत्थर गली ,नासिरा शर्मा,राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, चैथा पेपर वैक्स संस्करण 2018,पृष्ठ सं.21
  10. शाल्मली, नासिरा शर्मा, किताबघर,प्रकाशन,नई दिल्ली,2018,पृष्ठ सं.56

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 6 | November-December 2023
Date of Publication : 2023-12-12
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 307-312
Manuscript Number : SHISRRJ24768
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ सत्य प्रकाश पाण्डेय, "नासिरा शर्मा के कथा साहित्य में स्त्री मुक्ति का प्रश्न", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 6, Issue 6, pp.307-312, November-December.2023
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परम्परागत उद्योग एवं जनजातीय जीवन में परिवर्तन एक समाज शास्त्रीय अध्ययन (रीवा जिले के गोड़ एवं वैगा जनजाति के संदर्भ में)

Authors(1) :-डॉ सत्य प्रकाश पाण्डेयडाॅ. सीमा पटेल

परिवर्तन प्रकृति का नियम है समाज प्रकृति का एक अंग है। इस कारण समाज में परिवर्तन का होना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। सामाजिक जीवन में उसके स्वरूप, संरचना, व्यवस्था, प्रथा, रीति-रिवाज, मूल्य आदर्श सभी में परिवर्तन की प्रक्रिया निरंतर जारी है। ऐसा कोई भी समाज नहीं है जिसमें परिवर्तन की प्रक्रिया न हो। प्रत्येक समाज में सामाजिक परिवर्तन की गति एक समान नहीं होती। किसी समाज में परिवर्तन काफी तेज होता है और किसी समाज में काफी धीमी गति से। सामाजिक जीवन के एक पक्ष में होने वाले परिवर्तन उनके अन्य पक्षों को भी पविर्तित कर देता है। सामाजिक परिवर्तन के लिये अनेक कारक उत्तरदायी होते हैं। मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, धार्मिक कारक महत्वपूर्ण है। सामाजिक परिवर्तन सामाजिक कारक के सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनजातियों की आर्थिक व्यवस्था को उनके सांस्कृतिक-पारिस्थितिकी (कल्चरल इकोलाॅजी) परिवेश के अन्तर्गत समझा जा सकता है। इनका आर्थिक जीवन भौतिक आवश्यकताओं से संबंधित है, जो उनकी संस्कृति को समझने में सहायक होता है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सीमा पटेल
सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र) स्वामी जयदेव योगीराज पी.जी. कालेज मुजफ्फरपुर, मदनापुर जिला शाहजहाँपुर (उ.प्र.)

जनजाति समाज, सामाजिक परिवर्तन, परंपरागत उद्योग।

  1. लोककल्याणकारी सूक्त संग्रह संकलनकर्ताा श्रीमनीष त्यागी संस्थापक एवं अध्यक्ष श्रीहिन्दूधर्मवैदिक एजुकेशन फाउंडेशन
  2. भावप्रकाशनिघण्टु व्याख्या पं. विश्वनाथ द्विवेदी मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली 1978
  3. वेदों में आयुर्वेद, डाॅ. कपिलदेव द्विवेदी, डाॅ. भारतेन्दु द्विवेदी, विश्व भारती अनुशासन परिषद्, भदोही

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024
Date of Publication : 2024-11-25
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 59-68
Manuscript Number : SHISRRJ24768
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ. सीमा पटेल, "परम्परागत उद्योग एवं जनजातीय जीवन में परिवर्तन एक समाज शास्त्रीय अध्ययन (रीवा जिले के गोड़ एवं वैगा जनजाति के संदर्भ में) ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 7, Issue 6, pp.59-68, November-December.2024
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24768

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