Manuscript Number : SHISRRJ24769
किरातार्जुनीयमहाकाव्य में शिव का स्वरूप
Authors(1) :-राम अचल यादव किरातार्जुनीयमहाकाव्य में महाकवि भारवि शैव सिद्धान्त धर्म से पूर्णतः परिचित थे इसीलिए उन्होंने अष्टादशसर्ग में अर्जुन के मुख से भगवान् शिव के विभिन्न स्वरूपों का स्तुति करवाया है। अतः संक्षेप में यह कह सकते है कि भगवान् शिव का स्वरूप स्वभावतः आनन्द रूप है, यही सच्चिदानन्द है, यही सत्यं शिवं सुन्दरम् है। यह विशुद्धतम् सत् होकर भी असत् नहीं है। अभिव्यक्ति की दृष्टि से वह चित् है एवं रसास्वाद की दृष्टि से वही आनन्द है। वह अप्रमेय होने पर भी स्वप्रकाश है एवं स्वप्रकाशता के कारण स्वयं आनन्द भी है तथा अपने स्वारूपानन्द का स्वयं आस्वादन भी करता है।
राम अचल यादव किरातार्जुनीय, महाकाव्य, महाकवि भारवि, अर्जुन, शिव, सच्चिदानन्द। तांत्रिक वाङमय में शाक्त दृष्टि-कविराज Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024 Article Preview
शोधच्छात्र, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, रॉची विश्वविद्यालय, रॉची
Date of Publication : 2024-12-12
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 69-74
Manuscript Number : SHISRRJ24769
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24769