Manuscript Number : SHISRRJ24774
कुम्भपर्व और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
Authors(1) :-डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय भारतीय संस्कृति मुक्ति मार्गी है । कुंभ स्नान प्रायश्चित का साधन है. इससे पिछले पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है. अग्निपुराण में अग्निदेव ने कहा है- यह तीर्थ भोग और मोक्ष दोनों का प्रदाता है। प्रयाग में वेद और यज्ञ मूर्तिमान हैं, अतः इसका नाम स्मरण करने और यहाँ की मिट्टी लेने से जीव पापमुक्त हो जाता है। प्रयाग के संगम क्षेत्र में किये गये दान-पुण्य आदि से अक्षयफल की प्राप्ति होती है। यहाँ पर प्राण त्याग, वेद और लोक वचनों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रयाग को साठ करोड़ तीर्थों का सान्निध्य प्राप्त होता है, इसीलिये यह सर्वश्रेष्ठ तीर्थ हैं।
डॉ. सुधीर कुमार पाण्डेय कुम्भ,मुक्ति, सांस्कृतिक, संगम, प्रयाग, अक्षयफल, पापमुक्त, मूर्तिमान, भारतीय संस्कृति। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 5 | September-October 2024 Article Preview
सहायक आचार्य (संस्कृत), बाबा बरुआदास पी.जी. कॉलेज, परुइया आश्रम, अम्बेडकरनगर, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2024-10-20
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 72-78
Manuscript Number : SHISRRJ24774
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ24774