Manuscript Number : SHISRRJ24778
सृष्टि की उत्पत्ति, पृथिवी एवं सूर्य : वेदों के सन्दर्भ में
Authors(1) :-डॉ. विनोद कुमार पृथ्वी एवं सूर्य मानव जीवन के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं । सूर्य से मानव व समस्त प्राणियों को अबाध, अपरिमित ऊर्जा प्राप्त होती है तो पृथ्वी रत्नों का भण्डार है। सभी मनुष्यों को मधुर पेय जल की प्राप्ति भी इसी से होती है साथ ही कालिदास के शब्दों में सभी वृक्ष- वनस्पतियों की जननी ( सर्वबीजप्रकृति ) भी यही है । इसलिए प्राचीनकाल की भूगर्भविद्या एवं वर्त्तमानकाल के भूगोल विषय के अन्तर्गत सभी विद्यार्थियों को पृथिवी एवं सूर्य इन दोनों तत्वों का गहन ज्ञान प्रदान कर अनुसन्धान के द्वारा इनके रहस्यों को जानने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है । आधुनिक विज्ञान की तरह वेद एवं आद्य वैदिक ग्रन्थों में सृष्टि-रचना (कोस्मोलोजी) और ब्रह्माण्ड विज्ञान से सम्बन्धित विविध समस्याओं पर पहले ही विचार किया गया है। प्राचीन ऋषि-मुनि सृष्टि या पृथ्वी की उत्पत्ति को आकस्मिक घटना नहीं मानते बल्कि उसे सप्रयोजन मानते हैं। इनके मतानुसार हमारी पृथिवी की उत्पत्ति भी उतनी ही प्राचीन है जितनी कि सृष्टि की उत्पत्ति। पृथ्वी सौरमण्डल का एक ग्रह है। वेदों में ग्रहों के लिए रोचन, नक्षत्र तथा उक्षा शब्द प्रयुक्त हुए हैं। कहीं पर वे 35 बताए गये हैं और कहीं पर सैकड़ों हैं। उल्लेखनीय है कि अथर्ववेद का 'कतमस्या पृथिव्या'वचन इस ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी जैसी अनेक पृथिवियों के होने का संकेत करता है । सूर्य एक तारा या नक्षत्र है, जिसके अन्दर कभी समाप्त न होने वाला तेजपुञ्ज व्याप्त है। इसी प्रकार वेद में नक्षत्र शब्द के ग्रहों के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त होने के कारण सूर्य को सबसे बड़ा ग्रह कहा गया है। वेदों में सूर्य किरणों से ईन्धन प्राप्त करने का संकेत भी प्राप्त होता है। इसमें अनेक सूर्यों की सत्ता स्वीकार की गयी है। आज भी हमारे लिए वेदों में निहित ज्ञान को विज्ञानरूप में परिणत करने की अपार सम्भावनाएँ हैं। वेदों में अनेक पृथिवियों के संकेत हैं किन्तु हम एक ही पृथ्वी के समस्त रहस्यों को अभी तक नहीं जान पाये हैं जिसके लिए पीढी दर पीढी अनुसन्धान अपेक्षित है ।
डॉ. विनोद कुमार भूगर्भविद्या, ब्रह्माण्डविज्ञान, महाविस्फोटक सिद्धान्त, सृजन, रोचन, नक्षत्र, उक्षा, ऋत, तेज, स्वधा, सलिल, क्षयकिरण, आरोग, भ्राज, पटर, पतंग, स्वर्ण ज्योतिषीमान्, विभास। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024 Article Preview
सह-आचार्य, संस्कृत पालि प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2024-12-12
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 119-125
Manuscript Number : SHISRRJ24778
Publisher : Shauryam Research Institute
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