Manuscript Number : SHISRRJ258227
गीताञ्जलि: गीतिकाव्य में राष्ट्रिय चेतना का शंखनाद
Authors(1) :-डॉ. रश्मि यादव संस्कृत-साहित्य की उत्कृष्ट रचनाधर्मिता आदिकाल से आज तक निरन्तर प्रवाहमान एवं जीवन्त बनी हुई है। आधुनिक संस्कृत साहित्यकार पद्मश्री डॉ0 कपिलदेव द्विवेदी ने राष्ट्रिय-चेतना एवं राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत अपनी कृति गीताञ्जलि: में राष्ट्रिय-चेतना, सर्वोदय, पर्यावरण, आतंकवाद एवं संस्कृत भाषा के गौरव जैसे विषयों को गीत के माध्यम से अभिव्यक्त करते हुए राष्ट्रहित में बीस सूत्री कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे कपिलदेव द्विवेदी काराष्ट्र-प्रेम उनके गीतों में प्रस्फुटित हुआ है। राष्ट्र को समर्पित उनके गीत प्रबुद्ध जनों तक पहुँचकर राष्ट्रिय भाव को उद्वेलित करने में समर्थ हैं। गीताञ्जलिःमें गीतों को सात भागों में विभक्त किया गया है। प्रथम भाग में भक्ति भाव से सम्पृक्त गीत आबद्ध हैं। द्वितीय भाग में मातृवन्दना और तृतीय भाग में धर्मपरक गीत हैं। चतुर्थ भाग में राष्ट्रिय और सामाजिक विषयों के गीत,पञ्चम भाग में महापुरुषों के जीवन पर आधारित गीत, षष्ठ भाग में प्रकृतिपरक और अन्तिम सप्तम भाग में विभिन्न विषयों से संबंधित गीत संकलित किये गये हैं। इस गीतिकाव्य के अनेक गीतों में राष्ट्रप्रेम एवं राष्ट्र के प्रति उत्सर्ग का पवित्र भाव अनुस्यूत है।
डॉ. रश्मि यादव भारत, राष्ट्र-वन्दन, देशप्रेम, सर्वोदय, आतंकवाद, प्रदूषण। Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 2 | March-April 2025 Article Preview
सहायक आचार्य, संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उ0प्र0।
Date of Publication : 2025-04-12
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 144-149
Manuscript Number : SHISRRJ258227
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ258227