योगविद्या के प्रमुख दार्शनिक तत्त्वों का वैदिक संदर्भ

Authors(1) :-Dr. Rajesh Sarkar

योग एक महत्त्वपूर्ण भारतीय विद्या है। इस विद्या का मूल स्त्रोत वैदिक वाङ्मय में दृष्टिगोचर होता है। योगविद्या शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को स्वस्थ बनाने वाली तथा दुःखनिवृत्ति करने वाली है। योगविद्या प्रत्येक आश्रम के प्रत्येक पुरुष के लिए उपयोगी है। यह विद्या उपनयन संस्कार के साथ प्रारंभ हो जाती है तथा सन्यासपर्यन्त चलने वाली विद्या है। यह विद्या सहयोग की भावना, समन्वय की भावना, नैतिकता की वृद्धि करने वाली, आत्मिक एवं मानसिक शान्ति बढ़ाने वाली एवं भारतदेश को जगद्गुरू की पद्वी देने वाली सर्वोत्तम विद्या है। योगयुक्त पुरुष समस्त पदार्थों में आत्मा का निवास देखता है, उसे संसार की वास्तविक एकता का ज्ञान हो जाता है और वह समदर्शी हो जाता है। यही योगविद्या की उपादेयता है।

Authors and Affiliations

Dr. Rajesh Sarkar
एसो0प्रो0 संस्कृत, विभाग-संस्कृत,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

  1. योगो भवति दुःखहा - गीता 6/17
  2. ऋ0 1/18/7
  3. यजुर्वेद 34/1
  4. यजुर्वेद 11/1
  5. तां योगमिति मन्यते स्थिरामिन्द्रयधारणाम्- कठो0 2/3/11
  6. कठो0 2/3/10
  7. याज्ञवल्क्य स्मृति
  8. गीता 2/48
  9. गीता 2/50
  10. अभिज्ञान शाकुन्तलम् 7/12
  11. कुमारसंभवम् 1/21
  12. रघुवंशम् व्0ि
  13. अथर्ववेद 6/91/1
  14. भगवद्गीता 4/39
  15. भगवद्गीता 3/5
  16. ऋग्वेद 1/64/20
  17. भगवद्गीता 2/47
  18. ऋग्वेद 1.64.20
  19. यजुर्वेद 40/2
  20. ऋ0 9/92/32
  21. ऋ0 2/18/8
  22. ऋ0 6/47/18
  23. पातंजल योगसूत्र 4/34
  24. पातंजल योगसूत्र 1/2
  25. महर्षि दयानन्द सरस्वती संस्कार विधि पृ0 137
  26. पृ0 15
  27. पातंजल योगसूत्र 1-24
  28. उपर्युक्त 1.25
  29. उपर्युक्त 1.27
  30. यजुर्वेद 40.17
  31. यजुर्वेद 40.8
  32. यजुर्वेद 40.8
  33. यजुर्वेद 32.12

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018
Date of Publication : 2018-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 18-23
Manuscript Number : SISRRJ114
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

Dr. Rajesh Sarkar, "योगविद्या के प्रमुख दार्शनिक तत्त्वों का वैदिक संदर्भ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 1, pp.18-23, January-February.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ114

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