Manuscript Number : SISRRJ114
योगविद्या के प्रमुख दार्शनिक तत्त्वों का वैदिक संदर्भ
Authors(1) :-Dr. Rajesh Sarkar योग एक महत्त्वपूर्ण भारतीय विद्या है। इस विद्या का मूल स्त्रोत वैदिक वाङ्मय में दृष्टिगोचर होता है। योगविद्या शरीर तथा मस्तिष्क दोनों को स्वस्थ बनाने वाली तथा दुःखनिवृत्ति करने वाली है। योगविद्या प्रत्येक आश्रम के प्रत्येक पुरुष के लिए उपयोगी है। यह विद्या उपनयन संस्कार के साथ प्रारंभ हो जाती है तथा सन्यासपर्यन्त चलने वाली विद्या है। यह विद्या सहयोग की भावना, समन्वय की भावना, नैतिकता की वृद्धि करने वाली, आत्मिक एवं मानसिक शान्ति बढ़ाने वाली एवं भारतदेश को जगद्गुरू की पद्वी देने वाली सर्वोत्तम विद्या है। योगयुक्त पुरुष समस्त पदार्थों में आत्मा का निवास देखता है, उसे संसार की वास्तविक एकता का ज्ञान हो जाता है और वह समदर्शी हो जाता है। यही योगविद्या की उपादेयता है।
Dr. Rajesh Sarkar Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018 Article Preview
एसो0प्रो0 संस्कृत, विभाग-संस्कृत,काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
Date of Publication : 2018-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 18-23
Manuscript Number : SISRRJ114
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ114