Manuscript Number : SISRRJ116
दलित साहित्य और नारी
Authors(1) :-Nagdev Yadav भारतीय साहित्य में दलित व नारी जीवन पर केन्द्रित रचनाएँ न सिर्फ आधुनिक काल में मिलती है,वरन् भारतीय साहित्य में आरम्भ से ही जीवन के इन पक्षों की अभिव्यक्ति होती रही है। संस्कृत, पाली व प्राकृत साहित्य में भी दलित व नारी जीवन पर केन्द्रित रचनाएँ मिलती है और आधुनिक भारतीय भाषाओं के आदि,मध्य व आधुनिक काल में भी इन रचनाओं की प्रचुरता है। ‘‘संस्कृत के आदि कवि वाल्मीकि को दलित जीवन का अनुभव प्राप्त था तो मध्यकालीन संत व भक्त कवि-कबीर,रविदास,तुकाराम,नामदेव आदि भी दलित जीवन की पीड़ाओ से परिचित थे’’1 आदि व मध्यकालीन भारतीय साहित्य में नारी भावनाओं केा अक्का महादेवी नल दयद व मीराबाई आदि ने वाणी प्रदान की। लेकिन आज जिन अर्थो में दलित साहित्य व नारीवादी या नारी केन्द्रित साहित्य की चर्चा होती है, उसका आरम्भ बीसवीं सदी के छठवें या सातवें दशक में होता है।
Nagdev Yadav Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018 Article Preview
शोध-छात्र, हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार
Date of Publication : 2018-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 32-34
Manuscript Number : SISRRJ116
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ116