दलित साहित्य और नारी

Authors(1) :-Nagdev Yadav

भारतीय साहित्य में दलित व नारी जीवन पर केन्द्रित रचनाएँ न सिर्फ आधुनिक काल में मिलती है,वरन् भारतीय साहित्य में आरम्भ से ही जीवन के इन पक्षों की अभिव्यक्ति होती रही है। संस्कृत, पाली व प्राकृत साहित्य में भी दलित व नारी जीवन पर केन्द्रित रचनाएँ मिलती है और आधुनिक भारतीय भाषाओं के आदि,मध्य व आधुनिक काल में भी इन रचनाओं की प्रचुरता है। ‘‘संस्कृत के आदि कवि वाल्मीकि को दलित जीवन का अनुभव प्राप्त था तो मध्यकालीन संत व भक्त कवि-कबीर,रविदास,तुकाराम,नामदेव आदि भी दलित जीवन की पीड़ाओ से परिचित थे’’1 आदि व मध्यकालीन भारतीय साहित्य में नारी भावनाओं केा अक्का महादेवी नल दयद व मीराबाई आदि ने वाणी प्रदान की। लेकिन आज जिन अर्थो में दलित साहित्य व नारीवादी या नारी केन्द्रित साहित्य की चर्चा होती है, उसका आरम्भ बीसवीं सदी के छठवें या सातवें दशक में होता है।

Authors and Affiliations

Nagdev Yadav
शोध-छात्र, हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार

  1. दलित साहित्यः एक मूल्यांकन, प्रो0 चमनलाल,पृष्ठ 73
  2. भारतीय दलित साहित्य: परिपे्रक्ष्य सं0 पुन्नी सिंह, कमला प्रसाद, राजेन्द्र शर्मा पृ0496
  3. स्त्री मुक्ति: संघर्ष  और इतिहास,रमणिका गुप्ता पृ0 70
  4. दलित साहित्य के प्रतिमान डाॅ0 एन0 सिंह पृ0 240
  5. दलित साहित्य के प्रतिमान डाॅ0 एन0 सिंह पृ0 244
  6. स्त्री मुक्ति: संघर्ष  और इतिहास,रमणिका गुप्ता पृ0 150

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018
Date of Publication : 2018-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 32-34
Manuscript Number : SISRRJ116
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

Nagdev Yadav, "दलित साहित्य और नारी", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 1, pp.32-34, January-February.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ116

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