महाकवि बाणभट्ट के कृतित्त्वों की समीक्षा

Authors(1) :-दीनानाथ मिश्र

बाणभट्ट के दो गद्यकाव्य हर्षचरित और कादम्बरी ख्यातिलब्ध ही हैए इनके अतिरिक्त चण्डीशतकए पार्वतीपरिणय और मुकुटताडितक भी इनहीं की रचना है। उन्होंने अपने कतियों में वर्णित भावानुसार रस का परिपाक दर्शाया है। बाणभट्ट गद्यकाव्य.सम्राट है। उनका वाणी पर असाधारण अधिकार था जिसमे प्रभावित होकार हर्षवर्धन ने उन्हें वश्यवाणी.कविचक्रवर्ति की उपाधि से विभूषित किया। यद्यपि बाणभट्ट के नाम से अन्य रचनायें भी मिलती हैं। बाण गद्य के साथ.साथ पद्य और नाट्य रचना में सिद्धहस्त है।

Authors and Affiliations

दीनानाथ मिश्र
शोधछात्र - स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, ललितनारायण मिथिला विश्वविद्यालय, जिला – दरभंगा (बिहार), भारत।

गद्य, पद्य, नाट्य, बाणभट्ट, गीतिकाव्य, शैली, भाषा, उपनिबद्ध, ओजपूर्ण, भावाभिव्यक्ति, दाय, अप्रतिहत, पिपासा, कविचक्रवर्ती।

  1. हर्षचरित भूमिका , पृ॰- 10
  2. वही
  3. वही, पृ॰-11
  4. वही
  5. वही
  6. वही, पृ॰-12

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 2 | July-August 2018
Date of Publication : 2018-08-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 83-86
Manuscript Number : SISRRJ181211
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

दीनानाथ मिश्र, "महाकवि बाणभट्ट के कृतित्त्वों की समीक्षा ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 2, pp.83-86, July-August.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181211

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