21 वीं सदी की कविता का सामाजिक-राजनैतिक स्वर

Authors(1) :-डॉ. रमेश कुमार गोहे

कविता ने आधुनिक युग में अपने स्वरूप और स्वर में आमूलचूल परिवर्तन किया । लघु मानव से विश्व गाँव और ब्रह्मांडीय, अन्तरिक्ष जीवन की समस्याओं तक को अपनी कविताओं का विषय बनाया । मानव जीवन की तमाम समस्याओं से लेकर मनोविश्लेषण या मनोविज्ञान चिंतन को भी अपनी कविताओं के विषय बनाये । अंतर्दन्द्व से लेकर मानसिक पीड़ा और त्रासदी तक को अपनी कविता के विषय बनाये ।कवियों ने निर्भीक होकर बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी समस्याओं पर लेखनी चलाई । जिम्मेदार समाज और जिम्मेदार व्यवस्थाओं पर प्रश्न उठाये । उसके नैतिक पक्ष पर जोर दिया । सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान दिशा में हमेशा ही कवियों के द्वारा परिवर्तन के गीत गए गए। तमाम क्रांतियाँ इन्हीं गीतों को गाकर हुईं । भारत में आजादी की लड़ाई भी कवियों के द्वारा लिखी गईं कविताओं को गाकर ही आजादी मिली । प्रस्तुत शोध आलेख में हम 21वीं सदी की कविताओं में भाषा और परिवेश, संवाद व पात्र परिचय, वैयक्तिक चरित्र, कथानक, कविता की विषयवस्तु, समाज व संस्कृति का परिचय, रेखांकन कविताओं में स्त्री और उसकी भूमिका तथा अन्य सभी पक्षों जैसे दलित विमर्श की कविताएं, स्त्री विमर्श और परिवार विमर्श की कविताएं, कविता की भाषा-शैली, कविताओं पर भूमंडलीकरण का प्रभाव, राजनीतिक तथा बाहरी हस्तक्षेप का प्रभाव, पर्यावरण और उसकी चिंताओं के बिंदु, सामाजिक परिवेश का आंकलन आदि बिंदुओं को खोजने और वर्तमान समय और समाज की परिस्थितियों से उनका तादात्म्य स्थापित करने की कोशिश करेंगे ।

Authors and Affiliations

डॉ. रमेश कुमार गोहे
सहायक प्राध्यापक, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर (छ.ग.), भारत।

हिन्दी कविता, सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश, भूमंडलीकरण, विमर्श, आधुनिक साहित्य ।

  1. कविता से लंबी कविता, विनोद कुमार शुक्ल, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2016, पृष्ठ 11-12
  2. वही पृष्ठ 15
  3. वही पृष्ठ 3
  4. वही पृष्ठ 67
  5. वही पृष्ठ 78
  6. वही पृष्ठ 116
  7. नाव डूबने से नहीं डरती, लीना मल्होत्रा, किताबघर प्रकाशन, नई दिल्ली, 2016, पृष्ठ 39
  8. वही पृष्ठ 45
  9. वही पृष्ठ 73
  10. वही पृष्ठ 77
  11. घर अकेला हो गया, मुनव्वर राना, वाणी प्रकाशन, 2010, पृष्ठ 19
  12. वही पृष्ठ 21
  13. वही पृष्ठ 83
  14. वही पृष्ठ 134
  15. बाघ और सुगना की बेटी, अनुज लुगुन, वाणी प्रकाशन 2017, पृष्ठ 24
  16. वही पृष्ठ 46
  17. जड़ों की जमीन, जसिंता केरकेट्टा, भारतीय ज्ञानपीठ, 2018, पृष्ठ 16
  18. वही कवर पृष्ठ से
  19. वही पृष्ठ 114
  20. वही पृष्ठ 122
  21. वही पृष्ठ 142
  22. अम्बर में अबाबील संग्रह, उदय प्रकाश, वाणी प्रकाशन, दिल्ली, संस्करण 2019, आत्मकथ्य से
  23. वही पृष्ठ, आत्मकथ्य से
  24. वही पृष्ठ, 44
  25. वही पृष्ठ, 121
  26. वही पृष्ठ, 28
  27. प्रतिरोध के स्वर, सुशीला टाकभौरे, शुभदा बुक्स, दिल्ली, 2021, पृष्ठ 29
  28. वही पृष्ठ 65
  29. वही पृष्ठ 65
  30. वही पृष्ठ 81
  31. वही पृष्ठ 110
  32. वही पृष्ठ 123
  33. पथरीली राहों से 37
  34. वही पृष्ठ 46
  35. वही पृष्ठ 189
  36. समकाल की आवाज, विमलेश त्रिपाठी की चयनित कविताएँ, न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली, संस्करण 2022 संग्रह के प्रकाशकीय से
  37. वही पृष्ठ 18
  38. वही पृष्ठ 23
  39. वही पृष्ठ 24
  40. कालीचरण स्नेही, प्रतिनिधि कविताएँ काव्य संग्रह, वाणी प्रकाशन, 2022, पृष्ठ 94
  41. वही पृष्ठ 116
  42. वही पृष्ठ 156
  43. वही पृष्ठ 166
  44. डायरी का पीला वरक, सुशील द्विवेदी, हंस प्रकाशन दिल्ली, संस्करण 2021 पृष्ठ 02

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 4 | July-August 2022
Date of Publication : 2022-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 79-91
Manuscript Number : SISRRJ1818925
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ. रमेश कुमार गोहे, "21 वीं सदी की कविता का सामाजिक-राजनैतिक स्वर", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 4, pp.79-91, July-August.2022
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ1818925

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