इक्कीसवीं सदी की महिला कथाकारों की कहानियों में मूल्य बोध का आधुनिक स्वरूप

Authors(1) :-पूनम

साहित्य का संबंध समाज से और समाज का संबंध व्यक्ति से है। बिना व्यक्ति के समाज पूर्ण नहीं हो सकता अतः साहित्य और समाज के केंद्र में व्यक्ति ही होता है। साहित्य की तमाम विधाएं होती हैं जिसके केंद्र में व्यक्ति ही होता है और उसी के जीवन के बहुआयामी पक्षों को चित्रित किया जाता है। व्यक्ति के सभी पक्ष किसी न किसी तरह के मूल्यों द्वारा ही निर्देशित होते हैं। राधाकृष्ण ने कहा है मनुष्य को केवल भौतिक साधनों द्वारा संतुष्ट नहीं किया जा सकता, आत्मा की संतुष्टि की किसी मनुष्य का प्रथम उद्देश्य होता है।

Authors and Affiliations

पूनम
शोधार्थी, डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, भारत।

मूल्य, मूल्य बोध, नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्य, पतन, सवर्ण, दलित आदि।

  1. धीरेन्द्र वर्मा (संपा.) - ‘हिन्दी साहित्य कोश’ - पृ. 587
  2. धीरेन्द्र वर्मा (संपा.) - ‘हिन्दी साहित्य कोश’ - पृ. 802
  3. खेमराज श्री कृष्णदास - ‘शुक्रनीति-2’ - पृ.
  4. क्षमा कौल- गहरे कत्थई रंग का मखमली फिरन
  5. क्षमा शर्मा-रास्ता छोड़ो डार्लिंग
  6. क्षमा शर्मा-नेम प्लेट
  7. क्षमा शर्मा-लड़की जो देखती पलटकर
  8. इंदिरा दांगी- एक सौ पचास प्रेमिकाएं
  9. इंदिरा दांगी- शुक्रिया इमरान साहब
  10. प्रमिला वर्मा- अक्सों में तुम
  11. कमल कुमार- अंर्तयात्रा
  12. क्लाइडे कलसान -‘अमेरिकन स्टाईल’ - पृ. 205
  13. मधु कांकरिया- बीतते हुए
  14. मधु कांकरिया- चिड़िया ऐसे मरती है
  15. मधु कांकरिया- युद्ध और बुद्ध
  16. ममता कालिया- मुखौटा
  17. ममता कालिया-थोड़ा सा प्रगतिशील
  18. रमणिका गुप्ता-भारतीय दलित साहित्य कोश
  19. रामगोपाल वर्मा ‘दिनेश’- ‘स्वाधीनता कालीन हिंदी साहित्य के जीवन मूल्य’ - पृ. 16
  20. राजी सेठ- दलदल
  21. राजी सेठ-घोड़े से गधे
  22. रत्ना लाहिड़ी - ‘मूल्य, संस्कृति, साहित्य और समय’ - पृ. 12
  23. शशि सहगल - ‘नयी कविता में मूल्य बोध’ - पृ. 15
  24. संतोष श्रीवास्तव- आसमानी आंखों का मौसम
  25. सुधा अरोड़ा-काला शुक्रवार
  26. उषा प्रियंवदा- बनवास
  27. डाॅ. हृदय नारायण मिश्र - ‘विश्व कोश’ - पृ. 365
  28. डाॅ. मोहिनी शर्मा - ‘हिन्दी उपन्यास और जीवन मूल्य’ - पृ. 23
  29. डाॅ. प्रभाकर माचवे - ‘हिन्दी साहित्य कोश’ भाग: 1 - पृ. 604
  30. डाॅ. देवराज - ‘संस्कृति का दार्शनिक विवेचन’ - पृ. 168
  31. डाॅ. जगदीश गुप्त - ‘नयी कविता: स्वरूप और समस्याएँ’ - पृ. 12
  32. डाॅ. नारायण करण रेड्डी - ‘मैन एडुकेशन एण्ड वेल्यूज’ - पृ. 82
  33. डाॅ. गणपति चंद्रगुप्त-‘हिन्दी भाषा एवं साहित्य विश्वकोश’ - पृ. 528
  34. डाॅ. गंगाप्रसाद पाण्डेय - ‘पहीयसी महादेवी’ - पृ. 10
  35. डाॅ. गिरिराज शर्मा ‘गंुजन’-हिंदी नाटकः मूल्य संक्रमंण
  36. वंदना राग- यूटोपिया
  37. च. व. शंकरराव-‘समाजशास्त्रा’-पृ. 17
  38. चन्द्रकांता- अलकटराज देखा
  39. नासिरा शर्मा- बुतखाना
  40. नासिरा शर्मा-दूसरा ताजमहल
  41. अंजू दुआ जैमिनी- अति से इति
  42. गीताश्री- प्रार्थना से बाहर
  43. गीताश्री- डाउनलोड होते हैं सपने
  44. मैत्रोयी पुषपा- पियरी का समना
  45. अलका सरावगी- दूसरी कहानी
  46. गीताश्री- डायरी, आकाश और चिड़िया
  47. Maslo (Ed.) - ‘New Knowledge in Human Values - p. 178
  48. Borgadas -‘The Development of Social thought' - 63
  49. M. Johnson, ‘Sociology - A systematic inforduction' - p. 49.

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 4 | July-August 2022
Date of Publication : 2022-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 92-97
Manuscript Number : SISRRJ1818926
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

पूनम, "इक्कीसवीं सदी की महिला कथाकारों की कहानियों में मूल्य बोध का आधुनिक स्वरूप ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 5, Issue 4, pp.92-97, July-August.2022
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ1818926

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