विक्रमोर्वशीय के पात्र

Authors(1) :-डॉ॰ किरण लता

प्रस्तुत शोधपत्र में ‘विक्रमोर्वशीयम्’ के पात्रों का क्रमश: चित्रण है। नायक पुरूरवा एवं नायिका उर्वशी अपनी-अपनी विशिष्टताओं के कारण सर्वाधिक ध्यान आकृष्ट करते हैं। पुरूरवा पराक्रमी राजा तथा आदर्श प्रेमी का समन्वित रूप है तो उर्वशी नृत्यकला और बुद्धिमत्ता की मूर्ति होने के साथ आदर्श प्रेमी भी है। नायिका का यह रूप कालिदास के आख्यानों में विद्यमान उसके चरित्र से पृथक करके निर्मित किया है। नायक-नायिका के प्रणय के सहयोगी अन्य पात्र भी हृदयावर्जन करते हैं।

Authors and Affiliations

डॉ॰ किरण लता
फ्लैट न॰ – 27, जे॰ एफ – 2, ब्लॉक न॰ – 5, रोड न॰ – 12, राजेन्द्र नगर, पटना, बिहार, भारत

पात्र, चरित्रों, कथानक, नाट्यकार, अनुशीलन, सामाजिकों, अनुरञ्जन, नायक, प्रतिनायक, नाट्यवस्तु, वक्र-कथानक, पारिपार्श्वक, विदूषक।

  1. दशरूपक 1.11 वस्तु नेता रसस्तेषां भेदकः।
  2. नाट्यशास्त्र, अध्याय - 24.
  3. विक्रमोर्वशीय 1.2 के पूर्व। सूत्रधार - तदुच्यतां पात्रवर्ग : स्वेषु स्वेषु पाठेष्वसंमूढैर्भवितव्यमिति।
  4. दशरूपक 2.9 (द्वितीय चरण)- हास्यकृच्च विदूषकः। साहित्यदर्पण 3.40.
  5. विक्रमोर्वशीय 2.18 के बाद। दिव्यं खलु तद् भूर्जपत्रं गतमुर्वश्या मार्गेण।
  6. डॉ॰ उमाशंकर शर्मा ‘ऋषि' संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृ॰ 447.
  7. कुमारसंभव 1.49
  8. अभिज्ञानशाकुन्तल 2.12 दर्भाकुरेण चरण: क्षत इत्यकाण्डे . ...इत्यादि।
  9. अभिज्ञानशाकुन्तल 3.14-15 शकु॰

तव न जाने हृदयं मम पुनः कामो दिवापि रात्रिमपि।

निघृण ! तपति बलीयस्तव वृत्तमनोरथान्यङ्गानि।।

दुष्यन्त- तपति तनुगात्रि ! मदनस्त्वामनिशं मां पुनर्दहत्येव।

ग्लपयति यथा शशाङ्कन तथा हि कुमुद्वती दिवसः।।

  1. विक्रमोर्वशीय 3.12 के बाद। उर्वशी का कथन - स्थाने खलु इयं देवीशब्देनोपचर्यते। न किमपि परिहीयते शय्या ओजस्वितया।
  2. विक्रमोर्वशीय 2.18 के बाद। देवी - तेन हि लताविटपान्तरिता श्रोष्यामि तावदस्य विश्रब्धामन्त्रितानि यत्त्वया कथितं तत्सत्यं न वेति।
  3. विक्रमोर्वशीय 3.13 के बाद देवी का कथन।
  4. विक्रमोर्वशीय 1.7 के बाद।
  5. विक्रमोर्वशीय 1.18 के पूर्व।

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018
Date of Publication : 2018-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 88-104
Manuscript Number : SISRRJ181895
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ॰ किरण लता, "विक्रमोर्वशीय के पात्र", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 1, pp.88-104, January-February.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181895

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