Manuscript Number : SISRRJ181895
विक्रमोर्वशीय के पात्र
Authors(1) :-डॉ॰ किरण लता प्रस्तुत शोधपत्र में ‘विक्रमोर्वशीयम्’ के पात्रों का क्रमश: चित्रण है। नायक पुरूरवा एवं नायिका उर्वशी अपनी-अपनी विशिष्टताओं के कारण सर्वाधिक ध्यान आकृष्ट करते हैं। पुरूरवा पराक्रमी राजा तथा आदर्श प्रेमी का समन्वित रूप है तो उर्वशी नृत्यकला और बुद्धिमत्ता की मूर्ति होने के साथ आदर्श प्रेमी भी है। नायिका का यह रूप कालिदास के आख्यानों में विद्यमान उसके चरित्र से पृथक करके निर्मित किया है। नायक-नायिका के प्रणय के सहयोगी अन्य पात्र भी हृदयावर्जन करते हैं।
डॉ॰ किरण लता पात्र, चरित्रों, कथानक, नाट्यकार, अनुशीलन, सामाजिकों, अनुरञ्जन, नायक, प्रतिनायक, नाट्यवस्तु, वक्र-कथानक, पारिपार्श्वक, विदूषक। तव न जाने हृदयं मम पुनः कामो दिवापि रात्रिमपि। निघृण ! तपति बलीयस्तव वृत्तमनोरथान्यङ्गानि।। दुष्यन्त- तपति तनुगात्रि ! मदनस्त्वामनिशं मां पुनर्दहत्येव। ग्लपयति यथा शशाङ्कन तथा हि कुमुद्वती दिवसः।। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018 Article Preview
फ्लैट न॰ – 27, जे॰ एफ – 2, ब्लॉक न॰ – 5, रोड न॰ – 12, राजेन्द्र नगर, पटना, बिहार, भारत
Date of Publication : 2018-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 88-104
Manuscript Number : SISRRJ181895
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181895