Manuscript Number : SISRRJ181896
बिहार की संगीत परंपराः एक अवलोकन
Authors(1) :-विजय कुमार सिंह भारतीय संगीत कला आदि काल से भारत की समस्त कलाओं में एक उच्च स्थान प्राप्त करते आ रही है। संगीत, जिसमें गायन, वादन, एवं नृत्य तीनों का समावेश होता है । किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन की पहचान में संगीत का महत्व सभी संस्कृतियांे में निर्णायक रहा है । यह एक ओर मनोरंजन का साधन है, तो दूसरी ओर सृजनशील अभिव्यक्तियों का माध्यम है । बिहार में संगीत का स्थान महत्वपूर्ण है । महाभारत काल, रामायण काल, बौद्ध और जैन काल से लेकर वर्तमान समय तक संगीत के कई उतार चढ़ाव देखे है । मगध (वर्तमान बिहार) में प्र्राचीन समय से संगीत का केन्द्र विन्दु रहा है । नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशीला विश्वविद्यालय, उदन्तपुरी विश्वविद्यालय में संगीत के स्वतंत्र संकाय हुआ करता था । बुद्ध के समय से राजगीर, वैशाली, गया, पाटलीपुत्र जैसे नगरांे में गायक, गायिकाओं और नर्तकियों एवं गणिकाओं की उपस्थिति के साक्ष्य मिलते हैं । बिहार में सूफी संतों के माध्यम से संगीत की प्रगति हुई, जबकि वैष्णव धर्म आंदोलन के माध्यम से नृत्य और संगीत दोनों का विकास हुआ । वर्तमान समय में गायन, वादन, नृत्य एवं लोक संगीत की परंपरा कायम है।
विजय कुमार सिंह बौद्ध, जैन, मगध, बिहार, संगीत, गायक घराना, ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी, दादरा, मार्गी एवं देशी संगीत इत्यादि। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018 Article Preview
संगीत शिक्षक, रामबाबू +2 उच्च वि0 हिलसा, नालंदा।, भारत
Date of Publication : 2018-02-28
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Page(s) : 105-108
Manuscript Number : SISRRJ181896
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181896