बिहार की संगीत परंपराः एक अवलोकन

Authors(1) :-विजय कुमार सिंह

भारतीय संगीत कला आदि काल से भारत की समस्त कलाओं में एक उच्च स्थान प्राप्त करते आ रही है। संगीत, जिसमें गायन, वादन, एवं नृत्य तीनों का समावेश होता है । किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन की पहचान में संगीत का महत्व सभी संस्कृतियांे में निर्णायक रहा है । यह एक ओर मनोरंजन का साधन है, तो दूसरी ओर सृजनशील अभिव्यक्तियों का माध्यम है । बिहार में संगीत का स्थान महत्वपूर्ण है । महाभारत काल, रामायण काल, बौद्ध और जैन काल से लेकर वर्तमान समय तक संगीत के कई उतार चढ़ाव देखे है । मगध (वर्तमान बिहार) में प्र्राचीन समय से संगीत का केन्द्र विन्दु रहा है । नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशीला विश्वविद्यालय, उदन्तपुरी विश्वविद्यालय में संगीत के स्वतंत्र संकाय हुआ करता था । बुद्ध के समय से राजगीर, वैशाली, गया, पाटलीपुत्र जैसे नगरांे में गायक, गायिकाओं और नर्तकियों एवं गणिकाओं की उपस्थिति के साक्ष्य मिलते हैं । बिहार में सूफी संतों के माध्यम से संगीत की प्रगति हुई, जबकि वैष्णव धर्म आंदोलन के माध्यम से नृत्य और संगीत दोनों का विकास हुआ । वर्तमान समय में गायन, वादन, नृत्य एवं लोक संगीत की परंपरा कायम है।

Authors and Affiliations

विजय कुमार सिंह
संगीत शिक्षक, रामबाबू +2 उच्च वि0 हिलसा, नालंदा।, भारत

बौद्ध, जैन, मगध, बिहार, संगीत, गायक घराना, ध्रुपद, ख्याल, ठुमरी, दादरा, मार्गी एवं देशी संगीत इत्यादि।

  1. बिहार की संगीत परंपरा-गजेन्द्र नारायण सिंह
  2. हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की घराना-परम्परा - शम्भुनाथ मिश्र
  3. पं0 लोचन कृत राग तरंगिनी- डाॅ0 रीना सहाय
  4. संगीत रचना रत्नाकर भाग-3- पं0 राज किशोर प्रसाद सिन्हा
  5. गया घराने के ठुमरी गायक पं. कामेश्वर पाठक से साक्षात्कार के अंश (शोध प्रबंध करते वक्त)
  6. शोध-प्रबंध - डाॅ0 विजय कुमार सिंह

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018
Date of Publication : 2018-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 105-108
Manuscript Number : SISRRJ181896
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

विजय कुमार सिंह, "बिहार की संगीत परंपराः एक अवलोकन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 1, pp.105-108, January-February.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181896

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