शास्त्रे वृत्ति निरूपणम्

Authors(1) :-डाॅ0 सुभाष चन्द्र मीणा

शब्दास्यायमर्थः इत्येवरूप्यां व्चवच्छिद्यते व्यावत्त्र्योपदिथ्यते, न तु आधुनिक-शब्दवत् स्वयं सङ्केत्यते येन पौरुषेय त्वापेक्षा स्यात् इति। अतः वृत्ति सम्पूर्ण शब्दस्यार्थ इति कथ्यते।

Authors and Affiliations

डाॅ0 सुभाष चन्द्र मीणा
सहायकाचार्यः, व्याकरण विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयः, क0जे0सोमैया परिसर, मुम्बई, भारत।

शास्त्रम्, वृत्तिः, आचरणम्, प्रवर्तम्, व्यापारः, स्वभावः, कार्यम्, व्याकरणम् संस्कृतम्।

  1. वात्र्तिवार्तिकम्
  2. अष्टाध्यायी
  3. सिद्धान्तकौमुदी
  4. महाभाष्ये पस्पशाह्निके
  5. महाभाष्यम्
  6. न्यायसूत्र1.55
  7. अष्टाध्यायी
  8. सिद्धान्त कौमुदी कारकम् (2.3.2)
  9. पाणिनी सूत्र- 2.4.24
  10. वाक्यपदीयम्
  11. वाक्यपदीयम्
  12. अष्टाध्यायी (6.1.84)
  13. वाक्यपदीये
  14. सिद्धान्त कौमुदी समास प्रकरणे
  15. तर्कभाषा प्रमाणे
  16. तर्कभाषा प्रमाणे
  17. महाभाष्ये1.1
  18. शब्दकाण्डे
  19. वाक्यपदीये
  20. साहित्यपदर्पणे
  21. वाक्यपदीये स्फोटे
  22. शब्दकौस्तुभ
  23. ऋग्वेदे58.3
  24. वाक्यपदीये का0 3.3.1
  25. वैयाकरणभूषणसारे
  26. मीमांसादर्शने
  27. शब्दशक्ति प्रकाशिका

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018
Date of Publication : 2018-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 115–122
Manuscript Number : SISRRJ181898
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 सुभाष चन्द्र मीणा, "शास्त्रे वृत्ति निरूपणम् ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 1, pp.115–122, January-February.2018
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ181898

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