Manuscript Number : SISRRJ18190
सांख्य दर्शन का कारणता सिद्धान्त
Authors(1) :-डाॅ0 उधम मौर्य सांख्य दर्शन अपने कारण-कार्य के समबन्ध में सत् कारण से सत् कार्य को उत्पन्न मानता है। इसके अनुसार कार्य अव्यक्त रूप से अपने कारण में सूक्ष्म रूप से विद्यमान रहता है। कारण में कार्य सूक्ष्म रूप से उपस्थ्ति होने के कारण दिखायी नहीं देता है। यह कारण-कार्य का सिद्धान्त परिणामवाद में परिणीत हो जाता है जिसका अर्थ है - एक तत्त्व का दूसरे तत्त्व में वास्तविक परिवर्तन। जो तत्त्व कारण में पहले से विद्यमान है किन्तु प्रकट नहीं हुआ है, उसका कार्य रूप में प्रकट होना परिणाम है।
डाॅ0 उधम मौर्य अव्यक्त, व्यक्त, तिरोहित, आविर्भाव, असदकारणात्, उपादानग्रहणात्, सर्वसम्भवाभावात्, शक्तस्य शक्यकरणात्, कारणभावात्, परिणामवाद, तत्त्वान्तर। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 1 | January-February 2018 Article Preview
(भूतपूर्व शोधछात्र), दर्शन एवं धर्म विभाग, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2018-02-28
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 60-62
Manuscript Number : SISRRJ18190
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SISRRJ18190