कुन्ती का संदेश-एक वैयक्तिक मूल्यांकन

Authors(1) :-डाॅ0 अनीता सेनगुप्ता

भगवद्यानपर्व में वर्णित कुन्ती चरित्र से उसकी विद्वता, राजनीतिज्ञता, वीरता, मातृत्व, पुत्रस्नेह एवं धर्मशीलता आदि चारित्रिक गुण प्रकट होते हैं जो अकस्मात् कुन्ती को अद्वितीय भारतीय नारी के उत्तम रूप में प्रतिष्ठापित करते हैं।

Authors and Affiliations

डाॅ0 अनीता सेनगुप्ता
एसोसिएट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, ईश्वर शरण पी0जी0 काॅलेज, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

कुन्ती, विद्वता, राजनीतिज्ञता, वीरता, मातृत्व, पुत्रस्नेह, धर्मशीलता।

1.ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व-10. 2-21
2ण् महाभारत, भगवद्यानपर्व -10. 22-28
3ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व -10. 21-34
4ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व -10. 35-38
5ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व -10. 31-43
6ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व - अध्याय-10.44-54
7ण् मुचुकुन्दस्य राजर्षेरददात् पृथिवीमिमाम्। पुरा वैश्रवणः प्रीतो न चासौ तो गृहीतवान्।। महाभारत,भगवद्यानपर्व -132
8ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व -अध्याय-132.4-34
9ण् महाभारत,भगवद्यानपर्व -अध्याय-134-136
10. महाभारत,भगवद्यानपर्व -अध्याय-136

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 22-26
Manuscript Number : SHISRRJ120326
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डाॅ0 अनीता सेनगुप्ता, "कुन्ती का संदेश-एक वैयक्तिक मूल्यांकन", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 3, Issue 3, pp.22-26, May-June.2020
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ120326

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