समकालीन भारतीय चित्रकला में मिथकीय-प्रयोग

Authors(2) :-प्रो0 अजय कुमार जैटली, युवराज

समकालीन भारतीय चित्रकला का बहुत ही विस्तृत क्षेत्र रहा है। इस परम्परा के विकास क्रम एवं विकास प्रक्रियाओं में विभिन्न रूपों को देखा जा सकता है जिसमें समय-समय पर रेखा, रंग, रूप, विषयवस्तुओं आदि में परिवर्तन होता रहा है। भारतीय कला का विकास धार्मिक प्रतीकों, परिवेश, समाज, सौंन्दर्यबोध के आधार पर हुआ है। कला के माध्यम से अभिव्यक्ति करना कलाकार का मुख्य लक्ष्य रहा है। मिथक मानव चेतना की रचनात्मक अभिव्यक्ति है। जिसके माध्यम से चित्रकारों ने समाज को नवीन मूल्य प्रदान किये। कलाकारों ने मिथक के अतिभौतिक भाववादी और प्रतीकात्मक तत्वों को ग्रहण कर अपनी आत्माभिव्यक्ति एवं सृजनशीलता के माध्यम से विभिन्न मिथकीय रूपों का निर्माण किया है। समाज में व्याप्त मिथकों से कई कलाकारों ने प्रेरणा ग्रहण की और समकालीन कला में विषयवस्तु के प्रस्तुतीकरण के अनेक आयाम प्रस्तुत किये। उदाहरणार्थ:- राजा रवि वर्मा, अवनीन्द्र नाथ, नन्दलाल बोस, एम0एफ0 हुसैन, जे0 स्वामीनाथन, ए0 रामचन्द्रन आदि प्रमुख कलाकार हैं।

Authors and Affiliations

प्रो0 अजय कुमार जैटली
विभागाध्यक्ष, दृश्य कला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश।
युवराज
शोधार्थी, दृश्य कला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय,उत्तर प्रदेश।

समकालीन कला, मिथक, परम्परा, धार्मिक कला।

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Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 1 | January-February 2021
Date of Publication : 2021-02-28
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 248-251
Manuscript Number : SHISRRJ121422
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

प्रो0 अजय कुमार जैटली, युवराज , "समकालीन भारतीय चित्रकला में मिथकीय-प्रयोग ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 4, Issue 1, pp.248-251, January-February.2021
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ121422

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