Manuscript Number : SHISRRJ181214
जैविक खेती पद्धतियों का उपयोग जैविक खेती-एक परिचय
Authors(1) :-डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला आज जब पौध अनुवांशिकी एवं प्रजनन विज्ञान अपने चरम पर हैं, वैज्ञानिकों ने संकरण प्रक्रिया में प्रजातीय एवं किस्म सीमायें तोड सी दी हैं। बेसीलस थूरिजियेंसिस बैक्टीरिया का डी.एन.ए. कपास, मक्का आदि फसलों में स्थानान्तरित कर उन्हें तितली प्रजाति के कीडों से बचाया जा सकता है। दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है परन्तु इस क्रांतिकारी परिवर्तन में प्राकृतिक संसाधनों जैसे मिट्टी, पानी आदि का दोहन हेतु जो दुरूपयोग किया गया, उसके परिणाम अस्थाई व अल्पकालीन सिद्ध हुए है। यह खेती की एक ऐसी पद्धति है जिसमें रसायनिक कीटनाशियों, खरपतवारनाशियों एवं उर्वरकों के उपयोग के स्थान पर जीवांश खाद (गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवाणु कल्चर) पोषक तत्वों के स्त्रोत के रूप में एवं हानिकारक जीवों को नियंत्रित करने के लिए जैवनाशियों (बायो पेस्टिसाइड) जैसे एन.पी. वी., टाइकोगामा, ट्राइकोडर्मा, नीम, धतूरा, गोमूत्र एवं बायो एजेन्ट जैसे क्राइसोपा आदि का उपयोग करना
डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला जैविक‚ खेती‚ पद्धतियों‚ उपयोग‚ जैविक‚ खेती। Publication Details Published in : Volume 1 | Issue 2 | July-August 2018 Article Preview
भूगोल विभाग‚ पोस्ट – डोक्ट्ररल फैलो (ICSSR)‚ राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर‚भारत।
Date of Publication : 2018-08-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 95-131
Manuscript Number : SHISRRJ181214
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ181214