Manuscript Number : SHISRRJ1818932
अभिज्ञान-शाकुन्तलम् नाटक में वर्णित राजधर्म - एक चिन्तन
Authors(1) :-डॉ. जितेन्द्र कुमार 'कालिदासस्य सर्वस्वम् अभिज्ञानशाकुन्तलम्।'1 इस सूक्ति के महाकवि कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तल में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न आचार- विचारों का वर्णन किया है। साथ ही उन आचरणों के अनुप्रयोग का क्षेत्र भी दर्शाया है। इस शोध पत्र में महाकवि द्वारा प्रस्तुत नीतियों के अनुप्रयोग के ज्ञान के साथ-साथ, उदाहरणों के माध्यम से हम उनके अनुसरण के परिणामों को भी जानेंगे। इससे हम अपने जीवन की समस्याओं पर भी विचार कर सकेंगे और निर्णय ले सकेंगे। जिससे हम विभिन्न स्थितियों से नई रणनीतियाँ अपनाने में सहायता मिलेगी।
डॉ. जितेन्द्र कुमार कालिदास, अभिज्ञानषाकुन्तलम्, राजधर्म, स्वेच्छाचारी। संदर्भ सूची - संदर्भ ग्रंथ Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 4 | July-August 2022 Article Preview
एसोसिएट प्रोफेसर (संस्कृत), राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पंचकूला, हरियाणा
Date of Publication : 2022-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 131-136
Manuscript Number : SHISRRJ1818932
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ1818932