Manuscript Number : SHISRRJ192321
श्रीमद्भगवद्गीता में नैतिक मूल्य
Authors(1) :-डॉ. दिवाकर मणि त्रिपाठी श्रीमद् भगवद्गीता विश्व के महान् ग्रन्थों में से एक है। महाभारत का अंग होते हुए भी यह एक स्वतन्त्र ग्रन्थ के रुप में सुप्रतिष्ठित है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की यह एक विख्यात ग्रन्थ है। अर्जुन ने गुरुओं के प्रति जो आदर्श भावनायें व्यक्त की हैं वह आज के हर शिष्य को अनुकरण करनी चाहिए। जिससे उनका तो कल्याण होगा ही साथ-साथ समाज का भी कल्याण होगा, इसमें लेश मात्र संदेह नहीं है।
डॉ. दिवाकर मणि त्रिपाठी श्रीमद्भगवद्गीता, नैतिक मूल्य, महाभारत, भारतीय संस्कृति,सभ्यता। Publication Details Published in : Volume 2 | Issue 2 | March-April 2019 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत, वी. यस. ऐ वी पी.जी कालेज, गोला, गोरखपुर, भारत
Date of Publication : 2019-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 240-243
Manuscript Number : SHISRRJ192321
Publisher : Shauryam Research Institute
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ192321