काव्य में रस-तत्त्व विवेचन

Authors(1) :-डॉ॰ सुनील कुमार सिन्हा

रस काव्य की आत्मा मानी जाती है। रस सहृदयों के हृदय में सर्वोपरि आनन्द का संचार करनेवाले काव्य का सारभूत तत्त्व है। रस को आस्वाद, आनन्द, काव्यानुभूति, काव्योत्कर्ष इत्यादि के अर्थ में संस्कृत काव्यशास्त्र में लिया गया है। भरत ने रसनिष्पत्ति का सूत्र बताते हुए कहा कि विभावों, अनुभावों और व्यभिचारिभावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। रससूत्र के चार प्रमुख व्याख्याकार हुए जिन्होंने संयोग और निष्पत्ति की व्याख्या की। इन चारों में अन्तिम आचार्य अभिनवगुप्त का सिद्धान्त प्राय: सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाता है।

Authors and Affiliations

डॉ॰ सुनील कुमार सिन्हा
पी॰ जी॰ टी॰ (संस्कृत) राजकीयकृत + 2 उच्च विद्यालय, जयनगर, कोडरमा, झारखण्ड, भारत।

काव्यशास्त्र, रससूत्र, भरत, व्याख्याकार, भट्टलोल्लट, भट्टशंकुक, भट्टनायक, अभिनवगुप्त, साधारणीकरण, संयोग, निष्पत्ति।

  1. रसविमर्शः : पृष्ठ-1 पर उद्धरण । वस्तुतः यह हेमचन्द्र के अनेकार्थ संग्रह में दिया गया है।
  2. साहित्यदर्पण 1.3, वाक्यं रसात्मकं काव्यम् तथा उसकी वृत्ति।
  3. काव्यप्रकाश 1.2 की वृत्ति, सकलप्रयोजनमौलिभूतम्।
  4. नाट्यशास्त्र 6.31 के बाद का सूत्र वाक्य
  5. नाट्यशास्त्र 1.110
  6. नाट्यशास्त्र 16.118
  7. भामह. काव्यालंकार 1.21
  8. काव्यादर्श 1.18 (पूर्वार्ध)
  9. भामह काव्यालंकार 5.3
  10. रूद्रट काव्यालंकार 16.1
  11. भामह काव्यालंकार 14.38
  12. नाट्यशास्त्र 6.31 के बाद का सूत्र, विभावानुभाव व्यभिचारिसंयोगात् रसनिष्पत्तिः।
  13. नाट्यशास्त्र 6.31 के बाद का गद्य वाक्य।
  14. नाट्यशास्त्र 6.32-33
  15. विश्वनाथ साहित्यदर्पण 3.2-3
  16. भारतीय साहित्यशास्त्र कोश पृ॰-985
  17. काव्यप्रकाश 4.27-28
  18. दशरूपक, अवलोकवृत्ति 1.6
  19. दशरूपक 4.85
  20. साहित्यदर्पण 3.4
  21. साहित्यदर्पण 3.5
  22. साहित्यदर्पण 3.6-7
  23. साहित्यदर्पण 3.7 की वृत्ति।
  24. साहित्यदर्पण 3.8
  25. साहित्यदर्पण 3.9 की वृत्ति ।
  26. आचार्य विश्वेश्वर-काव्यप्रकाश-टीका पृ॰ 121
  27. रामचन्द्र-गुणचन्द्र कृत नाट्यदर्पण, पृ॰ 159
  28. साहित्यदर्पण 3.9 व्यापारोऽस्ति विभावादेर्नाम्ना साधारणी कृतिः।
  29. साहित्यदर्पण 3.11
  30. काव्यप्रदीप, पृ. 95
  31. साहित्यदर्पण 3.12

Publication Details

Published in : Volume 1 | Issue 3 | September-October 2018
Date of Publication : 2018-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 80-88
Manuscript Number : SHISRRJ1925016
Publisher : Shauryam Research Institute

ISSN : 2581-6306

Cite This Article :

डॉ॰ सुनील कुमार सिन्हा, "काव्य में रस-तत्त्व विवेचन ", Shodhshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (SHISRRJ), ISSN : 2581-6306, Volume 1, Issue 3, pp.80-88, September-October.2018
URL : https://shisrrj.com/SHISRRJ1925016

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